जानकारी के अनुसार वर्ष में तीन बार कार्तिक, फाल्गुन एवं आषाढ़ में मनाए जाने वाले इस पर्व की शुरुआत महासती मैना सुन्दरी की ओर से की गई। उन्होंने पति श्रीपाल के कुष्ठ रोग निवारण के लिए इसकी शुरुआत की। इसका जैन ग्रन्थों में भी उल्लेख मिलता है।
दिगम्बर जैन मंदिरों में विशेष पूजा विधान
जयपुर•Nov 07, 2022 / 05:05 pm•
Amit Pareek
अष्टानिका महापर्व: सिद्ध चक्र महामंडल विधान पूजा में चढ़ाए 256 अर्घ्य
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