जयपुर. जलदाय विभाग ने पेयजल परियोजनाओं के हर माह करोड़ों के बिजली के बिल से राहत पाने के लिए ग्रीन एनर्जी की दिशा में कदम बढ़ाया है। झालाना स्थित भूजल विभाग परिसर में ग्रीन एनर्जी आधारित 100 किलोवाट क्षमता का सोलर प्लांट स्थापित किया है। इस सोलर प्लांट से सितंबर से पंप हाउस पर बिजली के कुल खर्च में 1 लाख रुपए तक की बचत की बात जलदाय इंजीनियर कह रहे हैं।
पंप हाउस पर लगाए सोलर प्लांट से प्रतिदिन 500 और एक महीने में 15 हजार यूनिट बिजली का उत्पादन होगा। कार्यालय में बिजली उपकरणों के संचालन के बाद जो अतिरिक्त बिजली बचेगी उसे डिस्कॉम को दिया जाएगा। जितनी यूनिट डिस्कॉम को दी जाएगी उतनी यूनिट का खर्च पंप हाउस संचालन के बिजली के बिल में एडजस्ट होगा और यह एडजस्टमेंट बिजली के खर्च की बचत के हिसाब से रिकॉर्ड होगा।
आधा खर्चा तो बिजली बिल का
जलदाय इंजीनियरों का कहना है कि शहर में पंप हाउस के रख-रखाव पर एक महीने में जितना खर्च आता है उसका आधा तो बिजली बिल का होता है। शहर में 110 सप्लाई जोन में 50 पंप हाउस और 100 से ज्यादा टंकियों से सप्लाई होती है। हर महीने 50 से 60 करोड़ का बिजली का बिल आने पर वित्तीय स्थिति गड़बड़ा रही है।
जयपुर में भूजल विभाग परिसर में 100 किलोवाट क्षमता का पहला ग्रीन पंप हाउस का संचालन शुरू किया है। इससे बिजली के कुल खर्च में 1 लाख रुपए तक की बचत होने की उम्मीद है। इस ग्रीन पंप हाउस को अवॉर्ड भी मिला है। प्रदेश में पेयजल परियोजनाओं को सौर ऊर्जा से संचालित करने की योजना बना रहे हैं। – डॉ. समित शर्मा, सचिव जलदाय विभाग, जलदाय सचिव