SMS अस्पताल परिसर में भर्ती नहीं हो सकते नशेड़ी व मनोरोगी मरीज, 4 किमी दूर है वार्ड, मरीज-परिजन हैं परेशान
SMS Jaipur : राजस्थान के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल में नशेड़ी व मनोरोगियों के भर्ती होने के लिए जगह ही नहीं है। उन्हें भर्ती करने के लिए चार किमी दूर मनोचिकित्सा केंद्र में जाना पड़ रहा है। मरीज व परिजन बेहद परेशान हैं।
SMS अस्पताल परिसर में भर्ती नहीं हो सकते नशेड़ी व मनोरोगी मरीज
SMS Jaipur : प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल में नशे से ग्रस्त व मनोरोगियों के भर्ती होने के लिए जगह ही नहीं है। उन्हें भर्ती होने के लिए यहां से चार किलोमीटर दूर मनोचिकित्सा केंद्र में जाना पड़ रहा है। इससे मरीज व उनके परिजन को परेशानी से जूझना पड़ रहा है।
रोजाना 150 से 180 मरीज करते हैं इलाज
दरअसल, राजस्थान के SMS अस्पताल के धन्वंतरि ब्लॉक में नशा मुक्ति एवं मानसिक स्वास्थ्य ओपीडी संचालित होती है। इसमें रोजाना 150 से 180 मरीज आते हैं। इनमें मानसिक रोग केे अलावा कई मरीज नशे की लत के कारण गंभीर बीमारियों से भी ग्रस्त होते हैं। कुछ मरीज ऐसे होते हैं, जिन्हें तुरंत भर्ती करने की जरूरत होती है, लेकिन यहां उन्हें यह सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है।
इसके लिए उन्हें करीब 4 किलोमीटर दूर मनोचिकित्सा केंद्र भेजा जा रहा है। यहां लंबे समय से बांगड़ परिसर में बने नशा मुक्ति वार्ड को सितम्बर 2020 में (कोरोना काल में) सेठी कॉलोनी स्थित मनोचिकित्सा केंद्र में अस्थायी तौर पर शिफ्ट किया गया था। जो अभी तक दोबारा शुरू नहीं किया। इसलिए यह दिक्कत हो रही है।
बार-बार लाना पड़ रहा एसएमएस
नशे की लत से जूझ रहे कई मरीजों में लिवर, किडनी, हार्ट व पेट संबंधी कई बीमारियां पाई जाती हैं। उनका इलाज करवाना भी जरूरी होता है। एसएमएस में नशा मुक्ति वार्ड में मरीज भर्ती होता था तब गेस्ट्रोलोजी, नेफ्रोलॉजी, यूरोलोजी, मेडिसिन समेत अन्य विभागों के रेफरेंस हो जाते थे। मरीजों की सोनोग्राफी, सीटी स्कैन, एमआरआइ समेत कई जांचें भी यहीं हो जाती थीं। कई बार मरीज को आइसीयू की जरूरत भी पड़ जाती थीं। ये सुविधाएं मरीजों को मनोचिकित्सा केंद्र में नहीं मिल पा रही हैं। ऐसे में उन्हें बार-बार एसएमएस ही लाना पड़ता है। इससे परिजन को भी दिक्कत होती है।
जाने से हिचक रहे मरीज
पता चला कि बांगड़ परिसर में बने नशा मुक्ति वार्ड में 20 बेड थे जो हर समय फुल ही रहते थे। यहां मरीज आसानी से भर्ती हो जाते थे। नशा मुक्ति के कई मरीज मनोचिकित्सा केंद्र में इलाज के लिए जाने से भी हिचकते हैं। काफी समझाइश के बाद मानते हैं। हालांकि नशा छोड़ने वाले कई मरीज तो फिर भी नहीं जाते हैं।