ब्रेन नहीं कर पाता बदलाव बर्दाश्त
जब अचानक बीपी हाई होता है और तापमान में अचानक बदलाव होता है, तो इंसान का ब्रेन अचानक हुए इस बदलाव को बर्दाश्त नहीं कर पाता, जिससे ब्रेन स्ट्रोक की आशंका बढ़ जाती है। तापमान में अचानक बदलाव से खून गाढ़ा होने से ब्रेन में क्लॉट हो जाता है। ब्रेन स्ट्रोक भी दो प्रकार(सिस्मिक व हेमरेजिक) का होता है। वर्तमान में सिस्मिक के केस आ रहे हैं। इसमें किसी कारणवश दिमाग की ब्रेन में रक्त प्रवाह रुक जाता है और खून का थक्का जम जाता है। इसके अलावा माइग्रेन के मरीज भी इस बढ़े तापमान में परेशान हो जाते हैं। उन्हें भी सावधानी बरतने की जरूरत है। – डॉ. भावना शर्मा, विभागाध्यक्ष, न्यूरोलॉजी विभाग, एसएमएस अस्पताल
शरीर के ओवरहीटिंग सिग्नल को न करें नजरंदाज
शरीर भी ओवरहीटिंग के सिग्नल देने लगता है। यदि उसे नजरंदाज कर इलाज नहीं करवाया जाए तो मरीज में दिमागी स्थिति बिगड़ने, बोलने में दिक्कत होने, चिड़चिड़ापन, उन्माद में बड़बड़ाने, दौरा पड़ने और कोमा में चले जाने का जोखिम बढ़ जाता है। कुछ मामलों में मल्टी-ऑर्गन डिस्फंक्शन जैसे बड़े जोखिम भी हो सकते हैं। दिल, फेफड़ों और किडनी के पुराने रोग से पीड़ित लोग व 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को इस मौसम में टहलने या व्यायाम करने से बचना चाहिए। – डॉ. प्रवीण कनोजिया, फिजिशियन
Heat Stroke : ये बरतें सावधानी
- ढीले-ढाले हल्के कपड़े पहनें।
- छतरी या सफेद घेरेदार टोपी लेकर चलें।
- सनबर्न से बचाव के लिए कम से कम 30 एसपीएफ वाली संस्क्रीन का इस्तेमाल करें और इसे पर्याप्त मात्रा में लगाएं।
- छतरी, सनग्लासेस आदि का इस्तेमाल करें।
- त्वचा की समस्याओं या छूत के रोगों से पीड़ित लोगों को हर हाल में सीधी धूप से बचना चाहिए।
- हीट के एक्सपोज़र से बचें।
- ओआरएस, घर के बने पेय पदार्थ, जैसे लस्सी, नींबू पानी, छाछ आदि पीकर खुद को हाईड्रेटेड रखें। सोडा, अल्कोहल एवं अन्य ऐसे पेय पदार्थ न लें, जिनमें ज्यादा मात्रा में मिठास होती है।
- सुबह जल्दी और शाम को देर से व्यायाम करें।