अस्पताल के आउटडोर में भी दवाओं के लिए मरीजों के परिजन को परेशान होना पड़ रहा है। अस्पताल प्रशासन करीब डेढ़ वर्ष से प्रत्येक विभाग की ओपीडी में दवा वितरण केन्द्र और सैंपल कलेक्शन सेंटर खोलने का दावा कर रहा है, लेकिन अभी तक यह काम भी पूरा नहीं हुआ है।
एक वार्ड में करीब 100 से 150 मरीज भर्ती रहते हैं। इन मरीजों को बेड पर दवा उपलब्ध कराने के लिए आमतौर पर इक्का-दुक्का वार्ड बॉय ही उपलब्ध हैं। वह न केवल दवा लाने बल्कि मरीजों की जांचें कराने या अन्य कई कार्यों में उलझे रहते हैं। इस स्थिति में मरीज व उनके परिजन खुद दवा लाने को मजबूर है।
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– मुख्य भवन, चरक भवन, स्पेशियलिटी अस्पताल में परिजन दवा के काउंटर ढूंढ़ते रहते हैं
– काउंटर पर जाने के बाद कुछ दवाइयां मिलती हैं, अनुपलब्ध दवा के लिए फिर भटकते हैं
– आइसीयू में भर्ती मरीजों के परिजन के अनुसार डॉक्टर पर्ची पर दवा लिख देते हैं, लेकिन वे समझ ही नहीं पाते की वह मिलेगी कहां ?
– दवा वितरण केंंद्र से दवा ले रहे एक मरीज ने बताया कि उसे छुट्टी मिल गई। डॉक्टर ने कहा कि दवा ले आओ। वार्ड बॉय नहीं दिखा तो खुद को आना पड़ा।
इमरजेंसी या फिर वार्ड बॉय मौजूद न होने पर मरीज के परिजन दवा लेने चले जाते हैं या भेजे जाते हैं। मरीज के बेड पर दवा पहुंचाने की योजना को मजबूत करेंगे।
– डॉ. अचल शर्मा, अधीक्षक, एसएमएस अस्पताल