न्यायाधीश समीर जैन ने इस मामले में कैलाश चंद शर्मा व 24 अन्य की याचिका पर सोमवार को सुनवाई की। अधिवक्ता हरेन्द्र नील ने कोर्ट को बताया कि एसआई भर्ती-2021 के अंतर्गत 2021 में 13 से 19 सितम्बर के बीच परीक्षा आयोजित की गई, जिसका पेपरलीक हो गया और इस मामले में कई प्रशिक्षु उपनिरीक्षक गिरफ्तार किए जा चुके हैं। याचिका में कहा कि परीक्षा में भारी गडबडी के कारण इसे अवैध घोषित कर भर्ती को रद्द किया जाए और भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों की पुन: परीक्षा कराई जाए।
एसओजी जांच को मॉनिटर करने, एसओजी की जांच रिपोर्ट तलब करने और भर्ती में शामिल अब उम्रपार हो चुके अभ्यर्थियों को आयु में छूट देने का आग्रह भी किया गया है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता भुवनेश शर्मा से कहा कि सरकारी पक्ष का जवाब दिलाया जाए। याचिका में आरपीएससी के पूर्व सदस्य रामूराम राइका के बेटे प्रशिक्षु एसआई देवेश राइका व जेल में बंद प्रशिक्षु एसआई नरेश कुमार भी पक्षकार है, जिनसे भी जवाब मांगा गया है।
पोस्टिंग के आगे यह प्रक्रिया होनी थी
भर्ती में चयनित उपनिरीक्षकों का प्रशिक्षण पूरा हो चुका और आने वाले दिनों में परीक्षा होनी थी। इसके बाद पासिंग आउट परेड़ और फील्ड पोस्टिंग दिए जाने थे। मंत्रिमंडल कमेटी की रिपोर्ट पर होना है निर्णय
पुलिस उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा पेपरलीक मामले को लेकर विधि मंत्री जोगाराम पटेल के नेतृत्व में बनी 6 सदस्यीय मंत्रिमंडलीय कमेटी पिछले माह मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंप चुकी। बताया जाता है कि रिपोर्ट में भर्ती परीक्षा रद्द कर इसमें शामिल अभ्यर्थियों की पुन: परीक्षा कराने पर जोर दिया गया है, जिस पर अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री करेंगे। कमेटी में मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर,सुमित गोदारा, बाबूलाल खराड़ी, जवाहर सिंह बेढ़म, मंजू बाघमार भी सदस्य रहे।
859 पदों पर चयन, एसओजी के पास जांच
इस भर्ती के जरिए 859 पदों पर चयन किया गया। भर्ती प्रकरण की जांच एसओजी में एंटी चीटिंग सैल कर रही है और करीब चयनित 50 उपनिरीक्षक गिरफ्तार हो चुके हैं। पेपरलीक गिरोह के 36 सदस्य, प्रशिक्षु थानेदारों के परिजन, डमी अभ्यर्थी व अन्य लोग भी गिरफ्तार हो चुके। इसके अलावा एसओजी को सात प्रशिक्षु थानेदारों की तलाश है और 300 प्रशिक्षु थानेदारों की भूमिका की अभी जांच की जानी है। इस मामले में आरपीएससी के एक वर्तमान व एक पूर्व सदस्य भी गिरफ्तार हो चुके, वहीं मुख्य वांटेड यूनिक भांभू व सुरेश ढाका विदेश भाग गए और गिरोह के अनेक सदस्य भूमिगत हैं। आरोप है कि हरियाणा के एक गिरोह ने भी पेपर परीक्षार्थियों तक पहुंचाया, इस गिरोह के सदस्य भी अब पकड़ में नहीं आए हैं। लेकिन गैंग पकड़ में नहीं आ सकी।