इसके बदले ओमप्रकाश को एसओजी ने तीस हजार का इनाम भी दिया था। जगदीश के जेल से छूटने के बाद उसी से पेपर लेकर ओमप्रकाश के बेटे ने थानेदार की परीक्षा दी थी। जगदीश इस साल फिर गिरफ्तार हुआ तो पुराना मामला सामने आया। खुलासे के बाद पूर्व में गिरफ्तार करणपाल के साथ उसके पिता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
एसओजी में गिरफ्तार होने के बाद जगदीश बिश्नोई को वर्ष 2019 में जमानत मिल गई। वह फिर लगातार पेपरलीक गिरोह चलाने लगा। उसने वर्ष 2021 में हुई उपनिरीक्षक भर्ती परीक्षा का पेपर लीक किया। जिन अभ्यर्थियों को पेपर उपलब्ध कराए, उसमें ओमप्रकाश गोदारा का बेटा करणपाल भी था। उस समय ओमप्रकाश गोदारा डिप्टी एसपी बन चुके थे, जिनकी पोस्टिंग चूरू में थी। करणपाल की गिरफ्तारी के बाद सरकार ने ओमप्रकाश गोदारा को फील्ड पोस्टिंग से हटा दिया है। उन्हें डिप्टी एसपी नागौर से हटाकर आरएसी बीकानेर भेजा गया है। गोदारा बीकानेर के ही रहने वाले हैं
पेपरलीक होने के बाद वर्ष 2018 में जगदीश विश्नोई की भूमिका सामने आई थी। लेकिन, पुलिस के कई प्रयास के बाद भी विभिन्न धानों की पुलिस जगदीश को पकड़ नहीं पाई। इसके बाद बाड़मेर सहित कई जिलों में वर्ज मामले एसओजी में स्थानांतरित किए गए थे। जगदीश पर पचास हजार रुपए का इनाम घोषित किया गया।
कुछ दिन बाद ही एसओजी ने जगदीश को पकड़ लिया। जगदीश की गिरफ्तारी भी नाटकीय रूप में हुई थी। एसओजी ने इसमें ओमप्रकाश गोदारा की सराहनीय भूमिका बताई। ओमप्रकाश उस समय पुलिस निरीक्षक थे, जिनकी पोस्टिंग आबकारी विभाग में थी। बदले में एसओजी ने तीस हजार रुपए ओमप्रकाश गोदारा को रिवार्ड के रूप में दिए। दस हजार रुपए का इनाम जांच अधिकारी मनीज गुप्ता को तथा चार अन्य पुलिसकर्मियों को ढाई-ढाई हजार रुपए का इनाम दिया गया था।