सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हाईकोर्ट से कहा कि वह पूर्व निर्धारित तारीख एक मई को सुनवाई करे। हाईकोर्ट ने पेपरलीक मामले में गिरफ्तार इन 12 पुलिसकर्मियों की रिहाई के मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट के आदेश पर रोक लगा दी थी। इन पुलिसकर्मियों ने एसएलपी में हाईकोर्ट के इस आदेश को चुनौती दी थी।
एसएलपी में कहा गया था कि एसओजी ने अधीनस्थ न्यायालय के आदेश की पालना में रिलीज आर्डर तैयार होने के तथ्य को हाईकोर्ट से छिपाया, जिसके कारण हाईकोर्ट ने उनकी रिहाई पर रोक लगाई। एसएलपी में सुप्रीम कोर्ट से कहा गया कि हाईकोर्ट में लंबित राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई में समय लगेगा, इसलिए हाईकोर्ट के 15 अप्रेल के आदेश पर रोक लगाकर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया जाए।
राज्य सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता व अतिरिक्त महाधिवक्ता शिवमंगल शर्मा ने एसएलपी का विरोध करते हुए कहा कि हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती नहीं दी जा सकती। उन्होंने आरोपियों की सशर्त रिहाई के मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट के आदेश पर भी सवाल उठाया। सरकारी पक्ष ने कहा कि अधीनस्थ न्यायालय ने पुलिस रिमांड पर भेजा। ऐसे में आरोपियों को जमानत पर ही रिहा किया जा सकता है। यदि वे अवैध हिरासत में थे तो पहले ही रिहाई करनी चाहिए थी।