आसाराम से इतर भारती का अलग जीवन था। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक भारती का जन्म 5 दिसंबर 1975 को हुआ था। एम कॉम की डिग्री हासिल करने वाली भारती की शादी 1997 में डॉक्टर हेमंत से हुई थी। पति से तलाक के बाद भारती आसाराम के घर आ गई। भारती वहीं महिला आश्रम में काम करने लगी। यहां बाप बेटी की कभी नहीं बनी, क्योंकि आसाराम बेटी से ज्यादा तवज्जो एक अन्य शिष्या को देते थे। इससे परेशान भारती ने अपना आश्रम खोला और यहां से चली गई। लोग कहते हैं कि आसाराम की बेटी का प्रवचन बहुत सम्मोहक हुआ करता था। लाखों लोग उसे सुनने आते और अब भी उसके कई समर्थक हैं।
पिता की वजह से टूटी शादी
अब आपको बताते हैं आसाराम ने कैसे अपनी बेटी की जिंदगी बर्बाद की। दरअसल आसाराम का अपनी बेटी के वैवाहिक जीवन में काफी हस्तक्षेप था। आसाराम भारती के परिवार में जरूरत से ज्यादा दखल देने लगे थे, लिहाजा भारती और हेमंत के रिश्तों में तनाव आने लगा। नतीजा तलाक तक पहुंच गया। दोनों अलग हो गए। भारती से अलग होकर हेमंत देश से भी अलग हो गए। वे फिलहाल विदेश में बताए जाते हैं।
पिता को लड़कियां भेजने का आरोप
भारती की पहचान कुछ लड़कियों ने उजागर की थी। मीडिया रिपोर्ट के हिसाब से पीड़ित लड़कियों ने बताया कि भारती का असली काम सत्संग से लड़कियां चुनना था। वो लड़कियों को गाड़ी में बिठा कर लाती और लेकर भी जाती। एक पीड़िता ने बताया कि भारती को जैसा बोला जाता वो वैसा करती। कभी रुकने के लिए कहा जाता तो रुकती भी थी। आसाराम की पत्नी की भूमिका के बारे में एक पीड़िता ने बताया कि वो आश्रम से लड़कियों को भेजती थी। आसाराम उसे बताते कि आज किसे भेजना है। एक पूर्व साधक अमृत प्रजापति के अनुसार भारती को आसाराम फोन करता था और वो गाड़ी में लड़कियां लातीं। बतौर अमृत प्रजापति, ‘जब लड़कियां बोलती थीं कि गंदा काम हो गया तो दूसरी लड़कियां और लक्ष्मी समझ जाती थी और उन्हें कहती कि ये तो तेरी काया का कल्याण हुआ है।
बहरहाल, आसाराम से अलग हो चुके साधक और आसाराम पर इल्जाम लगाने वाले कई कहानियां कहते हैं। लोगों को भक्ति और आध्यात्म के मार्ग पर चलने के लिए उत्प्रेरित करने वाली भारती, खुद गंदगी के गहरे दलदल में धंसी हुई थी और भक्ति से सम्मोहित लोग अनजान बने बैठे थे। हालांकि ये महज आरोप हैं या हकीकत ये तो समय बताएगा, लेकिन आसाराम की दखलअंदाजी ने अपनी बेटी का घर तो खराब कर ही दिया। ये तो कहा ही जा सकता है आरोपों की आंच से आस्था की दीवार काली तो जरूर हुई है। अब फैसला अदालत के हाथ में है, जो आगामी 25 अप्रेल को आना है।