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पशु परिचर परीक्षा: प्रतियोगी परीक्षा में सात लाख कैंडिडेट्स एब्सेंट, आखिर क्यों?

competitive exams: राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की परीक्षा हो या फिर राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षा। इन दिनों कई परीक्षाओं में परीक्षार्थी की अनुपस्थिति बहुत अधिक होती जा रही है।

जयपुरDec 03, 2024 / 09:19 pm

rajesh dixit

जयपुर। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की परीक्षा हो या फिर राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षा। इन दिनों कई परीक्षाओं में परीक्षार्थी की अनुपस्थिति बहुत अधिक होती जा रही है। इसी तरह की एक प्रतियेागी परीक्षा में सात लाख से अधिक अभ्यर्थियों की अनुपस्थिति ने एक बार फिर चौंका दिया है।

राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड की ओर से एक से तीन दिसम्बर तक पशु परिचर परीक्षा का आयोजन किया गया। इस परीक्षा में सात लाख से अधिक अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे हैं। पूरी परीक्षा में 7 लाख 11 हजार 331 अभ्यर्थी अनुपस्थित रहे। जो पूरी परीक्षा का चालीस प्रतिशत रहा है।

छह पारियों में हुई परीक्षा, अधिकतम उपस्थित 64 फीसदी

पशु परिचर परीक्षा का आयोजन एक से तीन दिसम्बर तक कुल छह पारियों में किया गया। इस परीक्षा में पहले दिन 64 फीसदी से अधिक उपस्थित रही, वहीं तीसरे दिन अंतिम पारी में यह उपस्थित मात्र 51 फीसदी पर ही रह गई। इस परीक्षा में कुल उपस्थिति 59.67 फीसदी ही उपस्थित रही है।

कर्मचारी चयन बोर्ड अध्यक्ष ने जताई चिंता

राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड के अध्यक्ष आलोक राज ने कम उपस्थिति को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट कर अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए लिखा है कि ” बहुत ही दुखद। ये आरोप प्रत्यारोप का विषय नहीं है बल्कि सोचने और मनन करने का गंभीर विषय है। बोर्ड ने पहले रीट में 25 जिलों में परीक्षा कराई थी और ज्यादातर हमारी परीक्षाएं 7 जिलों में ही होती रही हैं। पशु परिचर परीक्षा हमने 33 जिलों में कराई फिर भी उपस्थिति 60 प्रतिशत ही रही।

केवल पेपर देने वाले ही फॉर्म भरे तो यह हो सकते हैं फायदे

बोर्ड अध्यक्ष के इस सुझाव के अनुसार, केवल उन उम्मीदवारों से फॉर्म भरवाना जो वास्तव में परीक्षा देने का इरादा रखते हैं, शिक्षा व्यवस्था और परीक्षा संचालन में कई व्यावहारिक लाभ ला सकता है। इन बिंदुओं को विस्तार से समझते हैं:

1. कैंडिडेट्स का गृह जिले में परीक्षा केंद्र मिलना

  • कम उम्मीदवार होने से परीक्षा केंद्रों की संख्या घटेगी, जिससे अधिकतर परीक्षार्थियों को उनके गृह जिले में ही परीक्षा देने का मौका मिलेगा। इससे यात्रा का समय और खर्च कम होगा।

2. पढ़ाई में कम व्यवधान

  • कम परीक्षा केंद्रों का चयन होने पर कम स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा। इससे नियमित कक्षाएं बाधित नहीं होंगी और अन्य छात्रों की पढ़ाई पर असर कम पड़ेगा।

3. शिक्षकों और संसाधनों की बचत

  • कम केंद्र होने से कम शिक्षकों की जरूरत होगी। इससे शिक्षकों को उनके अन्य शैक्षणिक कार्यों के लिए अधिक समय मिलेगा, और परीक्षा संचालन की लागत भी घटेगी।

4. परीक्षा में बेहतर सुरक्षा और पारदर्शिता

  • कम संख्या में केंद्र होने से प्रशासन का परीक्षा संचालन पर बेहतर नियंत्रण रहेगा। पेपर लीक और नकल जैसे मुद्दों को नियंत्रित करना आसान होगा। केवल प्रतिष्ठित सरकारी स्कूलों में केंद्र बनाए जाने से सुरक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी।

5. कम पारी में परीक्षा का संचालन

  • परीक्षा की कम पारी होने से स्कूलों को परीक्षा के लिए कम दिन बंद रखना पड़ेगा। इससे शैक्षणिक कैलेंडर पर कम असर पड़ेगा और छात्र-शिक्षक सामान्य कार्य में जल्दी लौट सकेंगे।

6. पर्यावरण और संसाधनों की बचत

  • कम परीक्षार्थियों का मतलब है कम पेपर का उपयोग, कम फ्यूल खर्च (यात्रा के लिए) और समय की बचत। यह विशेष रूप से मौजूदा समय में पर्यावरणीय दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।
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