scriptकिस्सा किताब का: रिश्तों की बिसात पर ‘सियासत’ | shivani sibal books siyaasat | Patrika News
जयपुर

किस्सा किताब का: रिश्तों की बिसात पर ‘सियासत’

लेखन को लेकर एक ग्लैमर भले ही दिखाई देता हो, लेकिन यहां के स्ट्रगल बड़े हैं, जो दिखाई नहीं देते। लेखक होने की पहले शर्त है, खुद को अकेला कर देना। एकांत के बिना कोई किरदार आपके पास नहीं आएगा।

जयपुरFeb 11, 2024 / 05:10 pm

Tasneem Khan

shivani sibal books siyaasat

लेखन को लेकर एक ग्लैमर भले ही दिखाई देता हो, लेकिन यहां के स्ट्रगल बड़े हैं, जो दिखाई नहीं देते। लेखक होने की पहले शर्त है, खुद को अकेला कर देना। एकांत के बिना कोई किरदार आपके पास नहीं आएगा।

लेखन को लेकर एक ग्लैमर भले ही दिखाई देता हो, लेकिन यहां के स्ट्रगल बड़े हैं, जो दिखाई नहीं देते। लेखक होने की पहले शर्त है, खुद को अकेला कर देना। एकांत के बिना कोई किरदार आपके पास नहीं आएगा। यह कहना है लेखक शिवानी सिब्बल का। शिवानी का पहला अंग्रेजी उपन्यास ‘इक्वेशंस’ हार्पर कॉलिंस से आया है और इसका हिंदी अनुवाद ‘सियासत’ राजकमल प्रकाशन से हाल ही प्रकाशित हुआ है। इसका हिंदी अनुवाद किया है, जाने माने अनुवादक प्रभात रंजन ने। इस किताब में दिल्ली की भरी—पूरी जिंदगी है, उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के अपने-अपने संघर्ष हैं।

एक किरदार की जगह लेता दूसरा किरदार है। यानी हालात फर्श से अर्श तक और अर्श से फर्श तक कब पहुंचा देते हैं, यह शतरंत की शह और मात की तरह इस किताब में सामने आता है। हालांकि इसके शीर्षक की तरह यह राजनीतिक उपन्यास नहीं है। इससे इतर यह रिश्तों की सियासत की कहानी है। जो बनते-बिगड़ते जीवन पर बड़ा असर डालते हैं। इसी किताब और इसके किरदारों पर बात की हमने शिवानी सिब्बल से….

1. पहली किताब है, प्लॉट कब सूझा?

दिल्ली में बचपन बीता। यहां के पुराने घर, गार्डन, अहाते मेरे दिल, दिमाग पर आज तक छाए हैं। इनमें रहते लोग और काम करते सहयोगी। इस पूरे माहौल को मैंने उपन्यास के लिए बेस बनाया। 2009 से इस उपन्यास का प्लॉट दिमाग में चलता रहा। कहीं बार लिखने का सोचा, लेकिन नहीं लिख पाई। फैमिली, बच्चे और खुद का खयाल रखना। यही चलता रहा। फिर दस साल बाद 2019 में इसे लिखना शुरू किया और 2021 में यह प्रकाशित हुआ। लेकिन इतना लंबा वक्त लेना लेखन के लिए बेहतर रहा। इन सालों में उपन्यास का प्लॉट, किरदार सब मेरी सोच के साथ परिपक्व होते रहे। और जब यह सामने आया तो मेरे लिए एक परफेक्ट फार्मेट में सामने था। अगर मैंने इसे 2009 में ही लिख लिया होता तो इसकी डिटेलिंग ऐसे सामने ना आती, जैसी आज है।


2. इसमें उच्च वर्ग और निम्न वर्ग के किरदार जैसे आखिर में एक ही हैसियत पर आ जाते हैं, उससे लगता है कि निम्न वर्ग ज्यादा महत्वकांक्षी है?

ऐसा नहीं है। महत्वकांक्षी हर कोई होता है। यह सारा सर्वाइव का मसला है। जिसे आगे बढ़ना होता है, बढ़ता है। जिसने जितनी मुश्किलें झेली होती हैं, वो जिंदगी को लेकर ज्यादा उदार होते हैं। सफलता के लिए कुछ भी कर गुजरते हैं, क्योंकि उनके पास खोने को कुछ नहीं होता। अपने अस्तित्व के लिए लड़ना सभी का हक है, फिर वो चाहे निम्न वर्ग का हो या उच्च वर्ग का या मध्यम वर्ग का। जो जितना काबिल है, वो उतना पा ही लेता है।

3. यहां किरदार अहान जो उच्च वर्ग से ताल्लुक रखता है, वो अपनी बीवी पर हाथ उठाता है तो आश्चर्य होता है कि महिलाओं के साथ हिंसा सभी जगह है?

बिलकुल, महिलाओं की स्थिति हर वर्ग में एक जैसी ही है। हैसियत कितनी भी उंची क्यों ना हो जाए, है तो वो भी इसी समाज का। इस समाज में पले—बढ़े हर पुरुष—महिला की मानसिकता एक जैसी ही है। उनकी सोच एक सी है। बस हम उसे अमीर—गरीब के चश्मे से देखना बंद कर दे तो वे सब एक ही नजर आते हैं। उच्च वर्ग की भी वही सोच है, जो पूरा समाज एक महिला के लिए सोचता है। पति का हक माना जाता है, जब चाहे हाथ उठा दे। इसे कई लोग ‘प्यार’ का नाम दे देते हैं। क्लास से कोई फर्क नहीं पड़ता।


4. एक समलैंगिक किरदार है अमन, उसे पिता की प्रॉपर्टी में बराबरी का हक नहीं मिलता। क्या आप मानती हैं कि ऐसे लोगों को दोयम दर्जे पर ही माना जाता है?

यह तो हम हर दिन देखते हैं कि समलैंगिकों को लेकर समाज की क्या सोच है। भले ही कानून बन गए हों, लेकिन समलैंगिकों को समानता का अधिकार आज भी नहीं मिला है। ऐसा हम अपने आसपास देख सकते हैं कि उनके अपने परिवार ही उन्हें तिरस्कृत करते हैं। सम्पत्ति पर अधिकार छोड़ो, थोड़ा बहुत भी देना उन्हें बोझ लगता है। इस पर बात की जानी चाहिए। समलैंगिकों को उनके सभी अधिकार मिलने चाहिए। बल्कि हर व्यक्ति को उसके सभी अधिकार मिले, यह सुनिश्चित होना चाहिए।

5. साहित्य के क्षेत्र में आने की चाह रखने वालों को क्या संदेश देंगी?

राइटिंग ग्लैमर है, लेकिन यह देख आने का ना सोचे। यह खुद को दिया जाने वाला एक टॉर्चर है। किरदारों के साथ रहने के लिए आपको अपनी रेगुलर लाइफ ब्रेक करनी होती है। क्रिटिक की सुननी होती है। अकेलेपन के लिए रेडी रहना होता है। लेखन का काम सन्नाटे में होता है। सबसे मुश्किल बात यह है कि आप किसी को यह नहीं समझा सकते कि आप क्या करते हैं। क्यों लिखते हैं। बहुत सी बातों का जवाब आपके पास नहीं होता है। एक किताब के पीछे लेखक का बड़ा स्ट्रगल होता है। इसीलिए, आपको लिखने का शौक है, लिखने को लेकर ईमानदार हैं, कोई अलग कहानी दुनिया के सामने लाना चाहते हो, तो ही लेखन शुरू करें।

Hindi News / Jaipur / किस्सा किताब का: रिश्तों की बिसात पर ‘सियासत’

ट्रेंडिंग वीडियो