इस दिन शीतला माता की पूजा-अर्चना कर उन्हें ठंडे पकवानों का भोग लगाया जाएगा। शीतला माता की पूजा-अर्चना करने के साथ महिलाएं व्रत भी रखेंगी। इसके एक दिन पहले 31 मार्च को रांधा-पुआ होगा, जिसमें घर-घर महिलाएं बास्योड़ा के लिए पकवान बनाएगी। शीतलाष्टमी के दिन सुबह शीतला माता को ठंडे पकवानों का भोग लगाया जाएगा। इसके बाद घर-घर ठंडे पकवान ही खाए जाएंगे।
ऋतु परिवर्तन का समय
ज्योतिषाचार्य पं. सुरेश शास्त्री ने बताया कि शीतला सप्तमी पर ठंडा खाना खाने की परंपरा है। यह समय शीत ऋतुके जाने और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है। इस दौरान मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इस दिन ठंडा खाना भोजन करने से मौसमी बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। इस दिन महिलाएं शीतला माता की पूजा-अर्चना कर परिवार और बच्चों की सलामती व घर में सुख-शांति के लिए प्रार्थना करेंगी।
ज्योतिषाचार्य पं. सुरेश शास्त्री ने बताया कि शीतला सप्तमी पर ठंडा खाना खाने की परंपरा है। यह समय शीत ऋतुके जाने और ग्रीष्म ऋतु के आने का समय है। इस दौरान मौसमी बीमारियां होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इस दिन ठंडा खाना भोजन करने से मौसमी बीमारियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। इस दिन महिलाएं शीतला माता की पूजा-अर्चना कर परिवार और बच्चों की सलामती व घर में सुख-शांति के लिए प्रार्थना करेंगी।