इन कलाओं में महारत हासिल
मंजू केवल मधुबनी पेंटिंग ही नहीं करती, उन्हें गौंड, संथाल, चेरियाल, पिछवई, कवि आर्ट, सांझी, फड़, कलमकारी, मसाई आदि में भी महारत हासिल है। उत्तरप्रदेश ललित कला अकादमी की ओर से उन्हें राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। इंटरनेशनल ऑनलाइन आर्ट कॉम्पटिशन में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। ऑल इंडिया आर्ट फेस्टिवल सहित देश भर की विभिन्न अकादमियों और अन्य मंचों पर उनकी पेंटिंग की प्रदर्शनी लग चुकी है। उनका कहना है कि वह लुप्त होती लोक कला के प्रति युवा पीढ़ी को जागरूक करने का प्रयास कर रही हैं।
बना रहीं आत्मनिर्भर
मंजू न केवल कलाकार हैं बल्कि वह अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं। इसके लिए उन्होंने आर्ट स्टूडियो की शुरुआत की है। जिसमें ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को जोड़ा गया है। इन महिलाओं से विभिन्न प्रकार के कपड़े तैयार करवाकर उन पर वह ट्राइबल आर्ट करती हैं और इनकी बिक्री से होने वाली आय का एक हिस्सा इन महिलाओं को दिया जाता है।
मंजू केवल मधुबनी पेंटिंग ही नहीं करती, उन्हें गौंड, संथाल, चेरियाल, पिछवई, कवि आर्ट, सांझी, फड़, कलमकारी, मसाई आदि में भी महारत हासिल है। उत्तरप्रदेश ललित कला अकादमी की ओर से उन्हें राज्य स्तर पर सम्मानित किया जा चुका है। इंटरनेशनल ऑनलाइन आर्ट कॉम्पटिशन में गोल्ड मेडल जीत चुकी हैं। ऑल इंडिया आर्ट फेस्टिवल सहित देश भर की विभिन्न अकादमियों और अन्य मंचों पर उनकी पेंटिंग की प्रदर्शनी लग चुकी है। उनका कहना है कि वह लुप्त होती लोक कला के प्रति युवा पीढ़ी को जागरूक करने का प्रयास कर रही हैं।
बना रहीं आत्मनिर्भर
मंजू न केवल कलाकार हैं बल्कि वह अन्य महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना रही हैं। इसके लिए उन्होंने आर्ट स्टूडियो की शुरुआत की है। जिसमें ग्रामीण परिवेश की महिलाओं को जोड़ा गया है। इन महिलाओं से विभिन्न प्रकार के कपड़े तैयार करवाकर उन पर वह ट्राइबल आर्ट करती हैं और इनकी बिक्री से होने वाली आय का एक हिस्सा इन महिलाओं को दिया जाता है।