ज्योतिषाचार्य डॉ. महेन्द्र मिश्रा ने बताया कि अमावस्या तिथि पितरों की समर्पित है, इसलिए पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाएगा। बड़ी संख्या में श्रद्धालु गलताजी में तर्पण करेंगे। वहीं, शनिदेव की पूजा की जाएगी और महिलाएं घर में सुख-शांति के लिए वट सावित्री का व्रत रखेंगी। बरगद के पेड़ की पूजा-अर्चना कर परिक्रमा की जाएगी।
यह भी पढ़ें
राजस्थान के मंदिरों में धार्मिक शिक्षा, क्या है उद्देश्य… देखिए VIDEO
इनकी करें पूजाज्योतिषाचार्य डॉ. शालिनी सालेचा ने कहना है कि ज्येष्ठ अमावस्या पर सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदियों में स्नान करने तथा तिल, दूध और तिल से बनी मिठाइयों का दान करने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से दरिद्रता मिटती है और पाप क्षय होते हैं। इस दिन बड़ के साथ पीपल के पेड़ पर कच्चा दूध, काले तिल, गंगाजल, चीनी, फूल, चावल, जल अर्पित करना चाहिए। तांबे के बर्तन में लाल चंदन, गंगाजल और जल के साथ सूर्य देव को तीन बार अघ्र्य देने तथा आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से आत्मबल बढ़ता है।