ज्योतिषाचार्य डॉ. रवि शर्मा ने बताया कि शनिदेव कर्क व वृश्चिक राशिवाले जातकों के लिए ढैय्या चल रहे है, जबकि मकर, कुम्भ व मीन राशि के जातकों के लिए शनि की साढ़ेसाती चल रही है। कुम्भस्थ शनि से गत 17 जनवरी को शाम 06ः04 बजे पर वृश्चिक राशि के चन्द्रमा में प्रवेश किया था, जिसके अनुसार साढ़ेसाती व ढैय्या शनि का फल किसी पर शुभ पर रहेगा तो किसी के लिए मिश्रित फलदायक रहेगा।
ढैय्या व साढ़ेसाती के जातकों पर क्या पडेगा प्रभाव
राशि – फल
मकर – उतरती साढ़ेसाती से मन असंतुष्ट, पारिवारिक अशान्तिकारक बनी रहेगी।
कुम्भ – मध्यकालीन साढ़ेसाती से व्यापार में लाभ मनोबल में वृद्धि होगी।
मीन – प्रारम्भिक साढ़ेसाती से मनोबल उँचा, मान-सम्मान में वृद्धि होगी।
कर्क – ढैय्या शनि से सहयोग मिले, मान-सम्मान में वृद्धि होगी।
वृश्चिक – ढैय्या शनि से गृहक्लेश व खर्चे की अधिकता, मनमुटाव, मन में अशान्ति रहेगी।
बचने के लिए करें ये उपाय
ज्योतिषाचार्य नरोत्तम पुजारी ने बताया कि शनि के अनिष्ट फल से बचने के लिए तेल, छायापात्र दान, शनि मन्त्र का जाप, दशांश हवन, शनिवार का व्रत, सप्तधान्य दान करना चाहिए। इसके साथ ही शनिवार को सुबह पीपल का पूजन करने से शनि का अशुभ फल कम होता है। शिव उपासना और हनुमत उपासना करें। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें। हनुमान चालीसा व शनि चालीसा का पाठ करें। सुंदरकांड का पाठ करें।
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शनिदेव देते हैं शुभ फल
ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि यदि आपकी जन्म कुंडली में शनि शुभ स्थिति में हैं तो आपको शनि की वक्री चाल के समय भी शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। वहीं जो व्यक्ति धर्म के काम करता है उसको भी शनि कष्ट नहीं पहुंचाते हैं। शनि के बारे में मान्यता है कि ये लोगों को उनके कर्मों के अनुसार ही फल देते हैं। यदि किसी की जन्म कुंडली में शनि वक्री अवस्था में बैठे हुए हैं और उस कुंडली के लिए शुभ फल कारक ग्रह है तो शनि का वक्री होना शुभ लाभकारी माना जाता है। इसी तरह यदि अशुभ होकर शनि वक्री हों तो अशुभ परिणाम देखने को मिलते हैं।