शनि महादशा, अंतरदशा, प्रत्यंतर दशा, साढ़े साती, ढैया आदि के दौरान परेशानियों से राहत पाने के लिए शनिदेव की आराधना जरूरी है. इसके लिए अनेक छोटे—मोटे उपाय या टोटके आदि भी बताए जाते हैं. हालांकि यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि शनि के प्रकोप से मुक्ति पाने के कोई भी प्रयास जल्द प्रभावी नहीं होते. इनका असर धीरे—धीरे ही होता है.
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि सच तो यह है कि शनिदेव की पूजा—पाठ आदि से हमारी सजा कम नहीं होती बल्कि शनिदेव केवल दंड भुगतने की शक्ति और संयम ही प्रदान करते हैं. यदि शनि महादशा, अंतरदशा, प्रत्यंतर दशा, साढ़े साती, ढैया आदि ज्यादा कष्टकारी हो रही है तो शनिदेव के मंत्र जाप प्रभावी साबित होते हैं. शनि देव की प्रसन्नता के लिए मंत्र जाप नियमित रूप से करना चाहिए.
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार ॐ प्रां प्रीं प्रौ सं शनैश्चराय नमः— यह शनि का बीज मंत्र है. शुक्ल पक्ष के शनिवार के दिन शनि की होरा में रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप प्रारंभ करें. 40 दिनों में कुल 23000 हजार जाप पूर्ण करें. विश्वासपूर्वक किए गए इस मंत्र जाप से शनिदेव की प्रसन्नता से कष्टों से कुछ हद तक मुक्ति जरूर मिलेगी.