गाइडलाइन और हकीकत:
– प्रत्येक 6 माह में सीवर की सफाई हो।
हकीकत : सीवर ओवरफ्लो होने लगे, लोग शिकायत करें तब सफाई शुरू की जाती है। – सामान्यत: मानसून पूर्व सीवर की जांच, निरीक्षण व सफाई हो।
हकीकत : पिछले दिनों बारिश में जयपुर में ही दर्जनों जगह सीवर का पानी सडक़ों पर भर गया। सफाई की पोल खुल गई।
– प्रत्येक 6 माह में सीवर की सफाई हो।
हकीकत : सीवर ओवरफ्लो होने लगे, लोग शिकायत करें तब सफाई शुरू की जाती है। – सामान्यत: मानसून पूर्व सीवर की जांच, निरीक्षण व सफाई हो।
हकीकत : पिछले दिनों बारिश में जयपुर में ही दर्जनों जगह सीवर का पानी सडक़ों पर भर गया। सफाई की पोल खुल गई।
– सफाई के दौरान पर्याप्त मशीनरी हो, सुरक्षा उपकरणों के साथ सुपरवाइजर मौके पर उपस्थित रहें।
हकीकत : सुपरवाइजर भले ही मौके पर रहें, सुरक्षा उपकरण नाम के रहते हैं।
– सफाई कार्य तब हो, जब सीवर न्यूनतम हो।
हकीकत : प्राय: सीवर लाइन भरने के बाद ही सफाई होती है। सीवर की मात्रा नहीं जांची जाती।
हकीकत : सुपरवाइजर भले ही मौके पर रहें, सुरक्षा उपकरण नाम के रहते हैं।
– सफाई कार्य तब हो, जब सीवर न्यूनतम हो।
हकीकत : प्राय: सीवर लाइन भरने के बाद ही सफाई होती है। सीवर की मात्रा नहीं जांची जाती।
– सफाई से एक घंटे पहले कार्यस्थल के आगे-पीछे के दो-तीन मैनहोल खोले जाएं ताकि जहरीली गैस निकल जाएं।
हकीकत : अधिकांश श्रमिकों को इसकी जानकारी ही नहीं है। पहले गैस निकालने के बजाय सीधे सफाई शुरू कर दी जाती है।
– किसी भी श्रमिक को मैनहोल में झांकने नहीं दिया जाए।
हकीकत : श्रमिक के पास सीवर की जांच करने के उपकरण नहीं होते, उसे मजबूरन अंदर झांकना पड़ता है।
– जहरीली गैसों की जांच के लिए गैस मॉनिटर, लैम्प डिटेक्टर, गैस डिटेक्टर मॉस्क का प्रयोग किया जाए।
हकीकत : जयपुर नगर निगम समेत अधिकांश अधिकांश नगर निकायों और ठेकेदारों के पास ऐसे उपकरण नहीं हैं।
हकीकत : अधिकांश श्रमिकों को इसकी जानकारी ही नहीं है। पहले गैस निकालने के बजाय सीधे सफाई शुरू कर दी जाती है।
– किसी भी श्रमिक को मैनहोल में झांकने नहीं दिया जाए।
हकीकत : श्रमिक के पास सीवर की जांच करने के उपकरण नहीं होते, उसे मजबूरन अंदर झांकना पड़ता है।
– जहरीली गैसों की जांच के लिए गैस मॉनिटर, लैम्प डिटेक्टर, गैस डिटेक्टर मॉस्क का प्रयोग किया जाए।
हकीकत : जयपुर नगर निगम समेत अधिकांश अधिकांश नगर निकायों और ठेकेदारों के पास ऐसे उपकरण नहीं हैं।