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पुराने गहने को बेचने में हो सकती है मुश्किल
मित्तल ने कहा कि सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर उन गहनों पर पड़ेगा, जो पुराने हो चुके हैं। दरअसल, हॉलमार्किंग अनिवार्य करने के बाद बिना हॉलमार्क वाले जेवर को आप कहीं भी खरीद या बेच नहीं सकते। इस फैसले के बाद उन लोगों के ज्यादा दिक्कत हो सकती है, जिनके पास बिना हॉलमार्क वाले गहने हैं।
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हॉलमार्क से क्या फायदा
दरअसल, हॉलमार्क वाले गहनों पर भारतीय मानक ब्यूरो का लोगो लगा होता है, जिसपर यह भी जानकारी दी गई होती है की वो सोने की ज्वेलरी कितने कैरेट की है। 24 कैरेट वाले सोने को सबसे शुद्ध माना जाता है, जिसका मतलब की इस गहने में किसी भी प्रकार की मिलावट ना के बराबर है और इसी वजह से ऐसे सोने की किमत मंहगी होती है। देश में सामान्य तौर पर लोग 18 से 22 कैरेट का सोने के बनाते है।