चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। मंत्री ने पूरे मामले में जांच कार्रवाई के आदेश दिए है। साथ ही आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने के लिए कहा है। ऐसे में साफ है कि अब आरोपियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज होंगे। जिसके बाद इस घोटाले में शामिल कई लोगों की गिरफ्तारी होगी।
ऐसे हुआ करोड़ों का घोटाला..
राजस्थान सरकार की ओर से सिलिकोसिस पीड़ित व्यक्ति को पुनर्वास के लिए 3 लाख रुपए की सहायता दी जाती है। इसके साथ ही 1500 रुपए प्रतिमाह मुख्यमंत्री विशेष योग्यजन सम्मान पेंशन दी जाती है। सिलिकोसिस से पीड़ित की मृत्यु होने पर उत्तराधिकारी को 2 लाख रुपए की सहायता दी जाती है। साथ ही पत्नी को विधवा पेंशन व पालनहार योजना का लाभ मिलता है। ऐसे में दलालों ने सिलिकोसिस से पीड़ित व्यक्ति का एक्स रे दिखाकर डॉक्टरों से सांठगांठ करके स्वस्थ व्यक्तियों के फर्जी सिलिकोसिस प्रमाण पत्र बनवाए। जिसके बाद फर्जी प्रमाण पत्रों से सरकार की से करोड़ो रुपए का भुगतान कर दिया गया।
अब हो रही कार्रवाई, लेकिन रिकवरी नहीं हुई..
फर्जी सिलिकोसिस प्रमाण पत्र मामले में अब सरकार की ओर से लगातार कार्रवाई की जा रही है। दौसा में 11 डॉक्टरों व 11 रेडियोग्राफरों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है। लगातार डॉक्टरों के खिलाफ जांच जारी है। पिछले दिनों दौसा जिले में सिलिकोसिस मरीजों के आंकड़े लगातार बढ़ रहे थे। जिसके चलते चिकित्सा विभाग को लगातार चिकित्सकों द्वारा मिलीभगत कर रोगियों को फर्जी तरीके सिलिकोसिस के प्रमाण पत्र जारी करने की शिकायतें भी मिल रही थी। इसके बाद जांच शुरू हुई तो सीकर, भीलवाड़ा व अन्य जिलों में भी फर्जीवाड़ा सामने आया। चौकानें वाली बात यह है कि आरोपियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई तो की जा रही है। लेकिन करोड़ो रुपए के घोटाले में मामले में रिकवरी नहीं हो रही है। आखिर रिकवरी कैसे होगी, इसके लिए अब तक कोई एक्शन नहीं लिया गया है।