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जिसकी कहानी यहां के इतिहास से भी जुड़ी हुई है । गरवान बाबा की मंढी नीमराणा के गढ़ (महल) की पुरानी कहावत आज भी यहां हर जुबां पर सुनी जा सकती है। इसी मंदिर में गरवान बाबा की समाधि के पास पूर्व रियासत के राजा जनकसिंह चौहान ने अपने दीवान जमुनालाल को आदेश देकर शिव पार्वती परिवार का भव्य मंदिर निर्माण करवाया था। जिसके बाद से इस शिव पार्वती मंदिर परिवार के साथ यह मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र बना हुआ है। मंदिर से राज परिवार का भी सीधा जुड़ाव रहा है। मंदिर में भक्तों की संख्या दिनोंदिन बढ़ने से यहां हमेशा मेला लगा रहता है। मंदिर की भव्यता व सुंदरता देखते ही बनती है। श्रावण मास में प्रति मास शिवरात्रि,महाशिवरात्रि पर यहां श्रद्धालुओं व भक्तों का तांता लगा रहता है। इस प्राचीन मंदिर में हरिद्वार,गंगोत्री,ऋषिकेश व अन्य स्थान से सावन मास में कांवडिये पवित्र कांवड़ लाकर चढ़ाते हैं ।
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साथ ही इसी स्थान से कावड़ लाने भी जाते हैं। यहां के वाशिंदे शुभ मांगलिक कार्य, विवाह, कुआं पूजन सहित अन्य समारोह में भी इस मंदिर के अंदर बाबा शिव भोले अन्य मूर्तियों के सामने अपनी मनोकामनाएं पूरी करने का आशीर्वाद लेते हैं। मंदिर में श्रावण माह में शिवालय में पूजा-अर्चना, भंडारा,प्रति सोमवार सहित अन्य पर्वों पर रात्रि जागरण, भजन सत्संग व अन्य कार्यक्रम होते रहते हैं। मंदिर से आमजन भक्तों की गहरी आस्था व विश्वास जुड़ा हुआ है।