वेंटिलेटर पर रहते हुए रुक्मणी बिरला हास्पिटल के कंसलटेंट पिडियाट्रिकस एण्ड नियोनेटोलॉजी डॉ विवेक गुप्ता ने शिशु की एक्सरे सहित अन्य जांचे करवाई। एक्सरे में गंभीर निमोनिया होना पाया गया। शिशु को विभिन्न प्रकार की दवाइयां दी गई। इन एंटीबायोटिक्स का भी कोई असर न देखते हुए शिशु को टीबी आशंका व्यक्त की गई और उसी के अनुसार टीबी की जांच की गई तो उसे कंजनाइटल ट्यूबरक्यूलोसिस (congenital tuberculosis) होना पाया गया। डॉक्टरों का दावा है कि यह एक दुर्लभ रोग है, जो वर्ल्डवाइड लगभग 450 शिशृओं में ही दर्ज किया गया है।
39वें दिन आईसीयू में भर्ती रहा शिशु
डॉ गुप्ता ने बताया कि शिशु को पहले 2 दिन हाई फ्रीक्वेंसी वेंटीलेटर पर रखा गया उसके बाद 10 दिनों के लिए मैकेनिकली कन्वेंशनल वेंटीलेटर पर रखा गया। एंटीबायोटिक्स और वेसोप्रेसरस् शुरू किए गए, लेकिन इसका भी कोई प्रभाव नजर नहीं आया। एक्सरे करने पर दाहिने फेफड़े में कन्सोलिडेशन के साथ ही नॉड्यूलर ओपेसिटी का पैच भी नजर आ रहा था। टीबी का संदेह पाए जाने पर इसे जीन एक्सपर्ट को भेजा गया, जहां से पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर एटीटी और स्टेरॉयड शुरू किए गए, जिससे शिशु में सुधार नजर आने लगा। आईसीयू में 39वें दिन शिशु की स्थिति सामान्य नजर आने लगी, इस शिशु को अब अस्पताल ने छुट्टी दे दी गई है।