हालांकि, निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीना समेत शेष अन्य आरोपियों की जमानत याचिका पर अब भी सुनवाई बाकी है। उनके जल्द जमानत मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
प्रवीर भटनागर की बैंच ने दी जमानत
बता दें, इस कांड के आरोपियों की एडवोकेट महेंद्र शांडिल्य, राजेंद्र सिंह तंवर, डॉ. महेश शर्मा और कपिल गुप्ता की ओर से पैरवी की गई। वहीं, न्यायमूर्ति प्रवीर भटनागर ने सुनवाई के बाद आरोपियों की जमानत मंजूर की। इससे पहले 6 दिसंबर 2024 को पिछली सुनवाई के दौरान टोंक जिला न्यायालय ने 38 आरोपियों की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थी। सुनवाई करते हुए न्यायालय ने पाया कि अधिकांश आरोपियों पर समान आरोप हैं और वे लंबे समय से जेल में बंद हैं। इस आधार पर जमानत मंजूर की गई। बताया जा रहा है कि नरेश मीना समेत अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर हाईकोर्ट में जल्द सुनवाई होगी।
इन आरोपियों को मिली जमानत
जमानत पाने वालों में ब्रह्मराज, सुरेश, लवकुश, विमल, टीकाराम, बलराम, उग्रसेन, जसराम, हेतराम, उदयसिंह, कालूराम, गुल मोहम्मद, मनोज कुमार, सुदामा, खुशीराम, रामेश्वर, आत्माराम, रामराज, योगेंद्र, नेतराम, विजेंद्र, हनुमान, दिलखुश, मनीष, कमलेश, राकेश, खुशीराम-2, देशराज, भागीरथ, आत्माराम-2, बबलेश, महावीर, रवि, खेलताराम, आत्माराम-3, खेलताराम-2, राजेश और बुद्धीराम शामिल हैं।
क्या है समरावता कांड?
यह मामला 13 नवंबर 2024 का है, जब टोंक जिले के समरावता गांव में विधानसभा उपचुनाव के दौरान एक विवाद हुआ था। विवाद एसडीएम और निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीना के बीच हुआ, जो बाद में बड़ा हिंसा में बदल गया था। इस घटना के बाद पुलिस ने 81 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था, जिसमें 38 आरोपी अब जमानत पर रिहा हो रहे हैं।