गौरतलब है कि सचिन पायलट पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार में कथित भ्रष्टाचार की जांच की मांग अपनी ही गहलोत सरकार से कर रहे हैं। इसी मांग को लेकर वे मंगलवार को जयपुर के शहीद स्मारक पर मौन अनशन पर बैठे थे।
निशाने पर कांग्रेस-भाजपा, ‘विरोधी’ दल आएंगे साथ!
कांग्रेस नेता सचिन पायलट के मौन अनशन के ऐलान के बाद से ही तमाम विरोधी दल हरकत में नज़र आये। पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार पर कथित भ्रष्टाचार के आरोप के चलते जहां भाजपा के सुर बदले-बदले से रहे, वहीं अन्य विरोधी दल पायलट को साथ आने का ऑफर देने में पीछे नहीं रहे।
राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं ने बयान जारी कर सचिन पायलट को कांग्रेस छोड़ने तक की सलाह दे डाली। यही वजह रही जिसके बाद से प्रदेश में तीसरे मोर्चे की चर्चाएं तेज़ होने लग गई। कांग्रेस-भाजपा विरोधी खेमे के लोग अन्य दलों से साथ मिलकर तीसरे मोर्चे के गठन की मांग उठाने लग रहे हैं।
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पायलट को ऑफर, ‘साथ’ की उम्मीद
आरएलपी के बाद बसपा ने भी सचिन पायलट को कांग्रेस छोड़ अपनी पार्टी में शामिल होने की सलाह दी। जबकि आप पार्टी की ओर से ऐसा कोई ऑफर फिलहाल नहीं आया। हालांकि आप नेता कांग्रेस-भाजपा में मिलीभगत का आरोप लगाते हुए अन्य विरोधी दलों के साथ आने की इच्छा ज़रूर जता रहे हैं। इन सभी दलों को सचिन पायलट से भी कांग्रेस छोड़ साथ आने की उम्मीद है। लेकिन राजनीतिक जानकार मानते हैं कि फिलहाल ऐसी संभावनाएं क्षीण हैं।
क्या बनेगा ‘आरएलपी-बसपा-AAP’ का मोर्चा?
चर्चाओं में कांग्रेस-भाजपा विरोधी दलों का संभावित गठबंधन भी है। चर्चा आरएलपी, बसपा और आप पार्टी के गठबंधन के साथ तीसरा मोर्चा बनाने को लेकर भी है। इस गठबंधन की वजह इसलिए भी उठ रही है क्योंकि तीनों ही दल कांग्रेस के साथ ही भाजपा को भी सत्ता से बाहर रखने की सियासी जंग लड़ रहे हैं।
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पायलट-किरोड़ी-बेनीवाल ‘तिगड़ी’ की भी चर्चा
प्रदेश में संभावित गठबंधन को लेकर चल रही तमाम तरह की अटकलों के बीच अब कांग्रेस नेता सचिन पायलट, भाजपा सांसद किरोड़ी लाल मीणा और आरएलपी सांसद हनुमान बेनीवाल के साथ आने की भी उम्मीद की जा रही है।
राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व महासचिव नरेश मीणा का कहना है कि यदि पायलट-किरोड़ी-बेनीवाल जैसे तीन दिग्गज नेता साथ आते हैं, तो ये ‘तिगड़ी’ कांग्रेस-भाजपा का बेहतर विकल्प हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय छात्रसंघ चुनाव में भी एबीवीपी-एनएसयूआई के सामने तीसरा मोर्चा उभरकर आया है।
पहले भी हुई सुगबुगाहट, नहीं मिली सफलता
तीसरे मोर्चे को लेकर पूर्व के विधानसभा चुनावों के दौरान भी सुगबुगाहट हो चुकी है। हालांकि कांग्रेस -भाजपा के सामने उठे तीसरे मोर्चे को अभी तक कोई सफलता नहीं मिल सकी है।