बता दें प्रदेशभर में आयोजित होने वाले इन कार्यक्रमों में जिलों के वर्तमान एवं पूर्व जनप्रतिनिधि, पार्टी पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित रहेंगे। हालांकि इस बार जयपुर में पायलट के जन्मदिन (Sachin Pilot Birthday) पर होने वाला जलसा नहीं होगा। क्योंकि सचिन पायलट इस बार दिल्ली में अपना जन्मदिन मना रहे हैं।
जयपुर में बड़ा जलसा नहीं होने के कारण
सियासी गलियारों में चर्चा है कि पायलट इस बार जन्मदिन के मौक़े पर जयपुर में राजनीतिक कारणों से बड़ा आयोजन नहीं कर रहे हैं। राजस्थान में भाजपा की सरकार बनने के बाद पायलट सियासी तौर पर पार्टी के अंदर अपनी ज़मीन को बनाए रखने की कोशिश में हैं, क्योंकि अंदरखाने अशोक गहलोत से उनकी सियासी अदावत अभी भी बनी हुई है। और पायलट अब कांग्रेस पार्टी में राष्ट्रीय महासचिव के बड़े पद पर हैं, इसलिए पायलट कार्यकर्ताओं और कांग्रेस आलाकमान को कोई ऐसा मौका नहीं देना चाहते जिससे उनकी छवि को नुकसान हो।
लिहाज़ा बदले हालातों के बीच पायलट अब अपनी ताक़त दिखाकर कांग्रेस के दूसरे खेमों के नेताओं से, ख़ास तौर पर डोटासरा और जूली से किसी भी तरह की अदावत मोल नहीं लेना चाहते। क्योंकि पिछले कुछ सालों में सियासी टकरावों ने सचिन पायलट को राजनीतिक तौर पर बड़ा नुकसान पहुंचाया है।
सचिन पायलट का प्रारंभिक जीवन
सचिन पायलट का जन्म उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में 7 सितंबर 1977 को हुआ था। इस बार सचिन पायलट अपना 47 वां जन्मदिन मना रहे हैं। पायलट वर्तमान में राजस्थान के टोंक विधानसभा से विधायक हैं। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नई दिल्ली में एयर फोर्स बाल भारती स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से पढ़ाई की और फिर अमेरिका के पेंसिलवेनिया यूनिवर्सिटी से प्रंबधन में उच्च शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद वहीं पत्रकारिता के क्षेत्र में 6 माह नौकरी भी की है।
पायलट ने 15 जनवरी 2004 को जम्मू और कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की बेटी सारा अब्दुल्ला से शादी की। उनके दो बेटे हैं। बाद में राजस्थान विधानसभा चुनाव 2023 के लिए उनके चुनावी हलफनामे के अनुसार सचिन पायलट और सारा अब्दुल्ला शादी के लगभग दो दशक बाद अलग हो गए।
इस वजह से राजनीति में आए पायलट
बता दें, सचिन पायलट के लिए सियासत का क्षेत्र कोई अजनबी जगह यानी नई जगह नहीं थी। भारतीय राजनीति में उनके पिता राजेश पायलट का बड़ा नाम था। वहीं उनकी मां रमा पायलट भी विधायक और सांसद रहीं। 11 जून 2000 में एक सड़क हादसे में पिता राजेश पायलट की मौत के बाद 23 साल के युवा सचिन पायट के लाइफ की दिशा बदली। सचिन पायलट ने साल 2002 में कांग्रेस का हाथ थामा। सक्रिय रूप से 2003 में कांग्रेस का दामन थामने के साथ ही, अगले ही साल 2004 में वे राजस्थान के दौसा लोकसभा सीट से सांसद बन गए। उस वक्त उनकी उम्र महज 26 वर्ष थी। सचिन 32 साल की उम्र में केंद्रीय मंत्री बन गए। साथ ही 36 साल की उम्र में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष। 2018 राजस्थान विधानसभा चुनाव में सफलता के बाद उन्हें प्रदेश में उप-मुख्यमंत्री का पद दिया गया। इसके बाद गहलोत सरकार के कार्यकाल में पायलट पर सरकार तोड़ने से लेकर अन्य कई तरह के आरोप लगे। इस वजह से उनका उप-मुख्यमंत्री का पद चला गया। वर्तमान में पायलट टोंक से विधायक हैं।
सचिन पायलट का ‘पायलट’ बनने का सपना था
6 सितंबर 2012 को पायलट प्रादेशिक सेना में अधिकारी के रूप में नियुक्त होने वाले भारत के पहले केंद्रीय मंत्री बने, जिससे उनकी अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए सशस्त्र बलों में शामिल होने की इच्छा पूरी हुई। प्रादेशिक सेना में अधिकारी होने के कारण उन्हें कैप्टन पायलट के नाम से जाना जाता है। नियुक्त होने के बाद उन्होंने कहा, “सेना में शामिल होने की मेरी इच्छा बहुत लंबे समय से थी क्योंकि मैं अपने पिता और दादा की तरह सशस्त्र बलों से जुड़ना चाहता था। मैं इस परिवार का हिस्सा बनकर सम्मानित महसूस कर रहा हूँ।”