विश्व की दूसरी लग्जरी ट्रेन
राजस्थान की पैलेस ऑन व्हील विश्व की दूसरी लग्जरी ट्रेन है। ट्रेन को कई अवार्ड मिल चुके हैं। ट्रेन में 84 सीटें है और विदेशी पर्यटकों को यह ट्रेन खासी पसंद है। अब बीते दो वर्ष से कोरोना के कारण इस ट्रेन के पहिए पूरी तरह से थमे हुए हैं। इसके स्टाफ को भी आरटीडीसी की अन्य यूनिटों में भेजना मजबूरी हो गया है। उधर ट्रेन को खडी करने के लिए रेलवे के ट्रेक का उपयोग करने के कारण रेलवे को भी मोटी रकम चुकानी पड रही है।
राजस्थान की पैलेस ऑन व्हील विश्व की दूसरी लग्जरी ट्रेन है। ट्रेन को कई अवार्ड मिल चुके हैं। ट्रेन में 84 सीटें है और विदेशी पर्यटकों को यह ट्रेन खासी पसंद है। अब बीते दो वर्ष से कोरोना के कारण इस ट्रेन के पहिए पूरी तरह से थमे हुए हैं। इसके स्टाफ को भी आरटीडीसी की अन्य यूनिटों में भेजना मजबूरी हो गया है। उधर ट्रेन को खडी करने के लिए रेलवे के ट्रेक का उपयोग करने के कारण रेलवे को भी मोटी रकम चुकानी पड रही है।
चलना जरूरी,धीरे धीरे बदल रही है कबाड में
पर्यटन निगम के अधिकारियों के अनुसार ट्र्रेन दो वर्ष से कभी अजमेर तो कभी फुलेरा या किसी अन्य स्टेशन पर खडी रहती है। ट्रेन का अंदर का इंटीरियर रख रखाव के अभाव में खराब हो रहा है और ट्रेन धीरे धीरे कबाड में बदल रही है। रेल मंत्रालय और पर्यटन निगम के अफसरों के बीच तालमेल नहीं होने से ट्रेन की सजावट के लिए स्वीकृत 7 करोड की राशि भी नहीं मिल सकी है। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार ट्रेन का संचालन अगर जल्दी शुरू नहीं किया गया तो ट्रेन पर मोटा खर्चा करना होगा
पर्यटन निगम के अधिकारियों के अनुसार ट्र्रेन दो वर्ष से कभी अजमेर तो कभी फुलेरा या किसी अन्य स्टेशन पर खडी रहती है। ट्रेन का अंदर का इंटीरियर रख रखाव के अभाव में खराब हो रहा है और ट्रेन धीरे धीरे कबाड में बदल रही है। रेल मंत्रालय और पर्यटन निगम के अफसरों के बीच तालमेल नहीं होने से ट्रेन की सजावट के लिए स्वीकृत 7 करोड की राशि भी नहीं मिल सकी है। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार ट्रेन का संचालन अगर जल्दी शुरू नहीं किया गया तो ट्रेन पर मोटा खर्चा करना होगा