रोडवेज प्रबंधन को तत्काल नई बसों की खरीद के साथ ही 5 हजार से ज्यादा खाली पड़े पदों ( rajasthan roadways Bharti ) पर भर्ती की इजाजत मिलने की उम्मीद थी। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में रोडवेज ( Rajasthan Roadways ) को वेतन-भत्तों के लिए हर माह मिलने वाली 45 करोड़ रुपए की किस्त भी वित्तीय वर्ष के अप्रेल माह से अटकी हुई है।
प्रदेश में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय रोडवेज को बंद करने को लेकर खूब हंगामा खड़ा हुआ। रोडवेज के स्थान पर प्राइवेट बसों को बढ़ावा देने की चली कोशिशों के चलते कर्मचारियों को बार-बार आंदोलन करने पड़े। उस वक्त कांग्रेस पार्टी ने कई मौकों पर राज्य में सरकार बनने पर रोडवेज को संबल देने का वादा दिया था। ऐसे में रोडवेज र्कािमकों को कांग्रेस सरकार के पहले ही बजट से काफी उम्मीदें थी। लेकिन पहले इस सरकार के आए लेखानुदान में और अब बजट में रोडवेज को लेकर कोई नया एलान नहीं होने से र्कािर्मकों को निराशा ही हाथ लगी है।’
इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रचलन को बढ़ावा देने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से कई प्रकार की छूटों का एलान किया जा रहा है। ऐसे में रोडवेज प्रबंधन ने दिल्ली-जयपुर रूट पर 10 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद कर संचालन की योजना बनानी शुरू की थी। लेकिन इन बसों की खरीद को लेकर भी बजट में कुछ नहीं है।
रोडवेज 4000 के आसपास बसों का संचालन कर रहा है। इनमें से कई की संचालन अवधि जल्द पूरी करने वाली हैं। ऐसे में रूटों से हटने से बसों की और कमी का सामना करना पड़ेगा। सूत्रों के मुताबिक रोडवेज प्रशासन की ओर से बजट में बसों की खरीद और खाली पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की इजाजत की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
5 हजार पदों पर भर्ती की जरूरत
रोडवेज में अभी स्वयं की करीब 3 हजार बसें संचालित हैं। ऐसे में करीब 2500 पदों पर तत्काल भर्ती ( rajasthan parivahan nigam bharti ) की जरूरत है। यदि रोडवेज अपने बेड़े को पूर्व की तरह 4500 बसों तक ले जाता है तो 5 हजार से ज्यादा पदों पर भर्ती करनी होगी। अनुबंध पर ली जाने वाली बसों पर चालक बस मालिक का ही होता है।
ये प्रयास भी नहीं हो सके सफल
रोडवेज प्रशासन ने सेवानिवृत्त कर्मचारियों के बकाया लाभ देने सहित अन्य वित्तीय स्थिति को देखते हुए मुख्यालय के पास वैशाली नगर डिपो की जमीन को बेचने की योजना तैयार की थी। इसको लेकर जेडीए को जिम्मेदारी बेचने की सौंपी गई थी। जेडीए ने इसके नक्शे आदि बनाकर बेचने को लेकर विज्ञापन भी जारी कराए। लेकिन जमी नहीं बिक सकी। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में यह प्रयास हुए थे। लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आते ही रोडवेज की जमीन बेचने के बजाय अपने प्रयासों से ही रोडवेज को मजबूत करने के लिए कहा गया।