इस लाॅन्च पैड की डिजाइन अग्निकुल ने तैयार की तथा इसरो और इन-स्पेस के सहयोग से इसका निष्पादन किया गया। यह केंद्र दो खंडों अग्निकुल लाॅन्च पैड (एएलपी) और अग्निकुल मिशन कंट्रोल सेंटर (एमसीसी) में हैं। दोनों खंडों के बीच की दूरी 4 किमी है और ये केंद्र सभी महत्वपूर्ण प्रणालियों से आपस में जुड़े हुए हैं। यहां उलटी गिनती और प्रक्षेपण के दौरान तमाम परिचालन आवश्यकताओं को पूरी करने के लिए अतिरिक्त प्रणालियां एवं सुविधाएं मौजूद हैं। लाॅन्च पैड का निर्माण तरल ईंधन वाले इंजन को भी ध्यान में रखकर किया गया है। यह इसरो के मिशनों में भी सपोर्ट करेगा और आवश्यकता पड़ने पर इसरो के मिशन कंट्रोल केंद्र के साथ आंकड़े और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां साझा करेगा।
अग्निकुल इसी लाॅन्च पैड से अपना पहला तकनीकी प्रदर्शन मिशन लाॅन्च करेगा। पहला मिशन एक कंट्रोल और गाइडेड मिशन होगा जो सीधी उड़ान भरेगा। पहले मिशन में कंपनी अपनी कई तकनीकों को आजमाएगी जिससे उसके कक्षीय मिशन का मार्ग प्रशस्त होगा। कंपनी अग्निबाण नामक प्रक्षेपण यान (रॉकेट) विकसित कर रही है जो 100 किलोग्राम भार वाले पे-लोड को धरती की 700 किमी ऊंचाई वाली निचली कक्षा में पहुंचाने की योग्यता रखेगा। इसके लिए कंपनी ने स्वदेशी तकनीक से थ्री डी प्रिंटेड इंजन अग्निलेट का विकास किया है।
गौरतलब है कि वर्ष 2020 में भारतीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्रमाणीकरण केंद्र (इन-स्पेस) के गठन के बाद निजी क्षेत्र को अंतरिक्ष कार्यक्रमों में काफी बढ़ावा मिल रहा है। हाल ही में एक निजी स्टार्टअप कंपनी स्काई रूट एयरोस्पेस ने भी अपने पहले रॉकेट विक्रम-एस का प्रक्षेपण किया था।
अग्निकुल का अग्निबाण