महर्षि दयानंद सरस्वती के बलिदान दिवस पर परोपकारिणी सभा के तत्वावधान में शुक्रवार से ऋषि मेला शुरु हो गया। ऋषि उद्यान में देशभर से आर्य विद्वान जुटे। प्रधान गजानन्द आर्य, कार्यकारी प्रधान डॉ. धर्मवीर ने बताया कि महर्षि दयानंद सरस्वती के 132वें बलिदान दिवस पर तीन दिवसीय ऋषि मेला का आयोजन किया गया है। इसके तहत ऋग्वेद पारायण यज्ञ जारी है। मेले में शुक्रवार को यज्ञशाला में यज्ञ हुआ। आचार्य सत्यजीत के प्रवचन हुए। ध्वजारोहण के दौरान लोगों ने ऋषि दयानंद के जयकारे लगाए। अन्तरराष्ट्रीय दयानन्द वेदपीठ दिल्ली एवं परोपकारिणी सभा के तत्वावधान में ‘भारतीय मत सम्प्रदाय और वेदÓ विषय पर गोष्ठी हुई। इसके अलावा चतुर्वेद कण्ठस्थीकरण वेद प्रतियोगिता का भी आयोजन होगा। 22 नवम्बर को वैदिक विद्वान, विदुषियों एवं कार्यकर्ताओं का सम्मान किया जाएगा। समारोह में प्रो. राजेन्द्र जिज्ञासु, आचार्य विजयपाल, डॉ. ब्रह्ममुनि, डॉ. सुरेंद्र कुमार, डॉ. कृष्णपाल सिंह, सत्यानंद आर्य, शिवकुमार चौधरी, जयदेव आर्य, सत्यपाल, डॉ. जगदेव विद्यालंकार, पं. देवनारायण तिवाड़ी, आचार्य ओमप्रकाश, डॉ. नरदेव गुड़े, सत्यवीर शास्त्री, धीरेंद्र पांडे, डॉ. सच्चिदानंद महापात्र, डॉ. रामनारायण शास्त्री, डॉ. मुमुक्षु, पूनम नागर, विद्यामित्र ठकुराल, सत्यवीर शास्त्री आदि विद्वान आए हैं। परोपकारिणी सभा : एक परिचय ऋषि मेले का आयोजन परोपकारिणी सभा कर ही है। इसे 16 अगस्त 1880 को मेरठ में महर्षि दयानन्द सरस्वती ने संगठित किया था। बाद में 27 फरवरी 1883 को उदयपुर में पंजीकृत किया गया। 1893 से इसका कार्यालय अजमेर में है।