29 मार्च को सामूहिक कार्य बहिष्कार की चेतावनी
सरकारी चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व करने वाली यूनियन सेवारत चिकित्सक संघ ने 29 मार्च को प्रदेशभर में एक दिन का सामूहिक हड़ताल पर रहने की चेतावनी दी है। अगर ऐसा होता है तो प्रदेशभर की पीएचसी, सीएचसी, उप जिला हॉस्पिटल में मरीजों को नहीं देखा जाएगा। क्योंकि यहां ज्यादातर डॉक्टर मेडिकल ऑफिसर ही होते हैं और वे अरिसदा संगठन से जुड़े हैं।
निजी अस्पताल पहले से ही बंदनिजी चिकित्सकों की ओर से राइट टू हेल्थ बिल का विरोध किए जाने के कारण प्रदेश के तकरीबन 3000 से अधिक निजी अस्पताल, क्लिनिक, नर्सिंग होम आदि सब बंद हैं। जयपुर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में डाक्टर्स सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार ने बिल भले ही पारित कर दिया है। लेकिन डॉक्टर्स इस बिल को नहीं मानेंगे। यह बिल जब तक वापस निरस्त नहीं होगा तब तक निजी अस्पताल बंद रहेंगे।
राइट टू हेल्थ बिल का विरोध जारी: इलाज के लिए यहां से वहां भटक रहे मरीज
आज सुबह निकाली साइकिल रैली
वहीं दूसरी ओर मंगलवार सुबह आरटीएच का विरोध कर रहे निजी चिकित्सकों ने साइकिल रैली निकाली और अपनी बिल को वापस लिए जाने की मांग की। उन्होंने सरकार का भी चेतावनी दी कि आंदोलन लगातार बढ़ रहा है। जल्द सरकारी सेवारत चिकित्सक व मेडिकल शिक्षक भी आंदोलन में शामिल होंगे। उन्होंने सरकार आगाह किया कि यदि तुरंत प्रभाव से इस काले क़ानून को वापस नहीं लिया गया तो आक्रोशित चिकित्सक वर्ग को नियंत्रित करना मुश्किल हो जाएगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की कि आम जनता के हितों को ध्यान के रखते हुए उन्हें तुरंत प्रभाव से राइट टू हेल्थ बिल को वापस ले लेना चाहिए। रेजिडेंटस पर सख्ती के मूड में सरकार प्रदेश की राजधानी जयपुर में मरीज इलाज के लिए परेशान हो रहे हैं। दर-दर भटक रहे हैं। लेकिन सरकार और डॉक्टर आमने सामने हैं।
सरकार अब सख्ती के मूड में आ गई है और रेजिडेंट्स् पर कार्रवाई कर सकती है। वहीं रेजिडेंट्स ने हठ पकड़ ली है और काम पर लौटने को तैयार नहीं हैं। इसे देखते हुए हड़ताली चिकित्सकों का एक प्रतिनिधिमंडल एसएमएस मेडिकल कॉलेजत के प्रिंसिपल डॉ. राजीव बगरहट्टा से मिलकर उन पर रेजिडेंट और सरकारी डॉक्टर्स पर दबाब नहीं बनाए जाने की बात कही। प्रतिनिधिमंडल में शामिल डॉ. विनोद कपूर का कहना था कि पूरे प्रदेश के चिकित्सक आंदोलन कर रहे हैंऔर ऐसी स्थिति में यदि हड़ताल में शामिल रेजीडेंट डॉक्टर्स या सरकारी चिकित्सकों पर दंडात्मक करवाई की गई तो आक्रोश और बढ़ेगा। उन्होंने रेजीडेंट डॉक्टर्स को भी आश्वासन दिया कि यदि आंदोलन का समर्थन कर रहे किसी भी डॉक्टर के खिलाफ सरकार किसी भी प्रकार की कोई कार्यवाही करती है तो सभी आंदोलनकारी उनके समर्थन में खड़े होंगे।
बीकानेर और जोधपुर दौरे पर सीएमनिजी चिकित्सकों की मुख्य सचिव स्तर पर वार्ता हो चुकी है जो असफल रही थी, तब चिकित्सकों ने स्पष्ट किया था कि वह अब केवल सीएम गहलोत से मिलकर ही अपनी बात रखेंगे उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि बिल वापस लिया जाएगा। सीएम अशोक गहलोत आज बीकानेर और जोधपुर दौरे पर हैं ऐसे में वार्ता होने की संभावना आज भी बनती नजर नहीं आ रही।
यह कार्यवाही कर सकती है सरकार
सरकार हड़ताल से निपटने के लिए कड़े एक्शन लेने पर विचार कर रही है। जिसमें प्राइवेट अस्पतालों को दी गई रियायती जमीन का आवंटन निरस्त करने का अधिकार सरकार के पास है। बिना अप्रूवल बनी अस्पताल बिल्डिंगों, फायर फाइटिंग की एनओसी और सुविधा के बिना चल रहे अस्पतालों को सील किया जा सकता है। अस्पतालों में अवैध निर्माण को तोड़ा जा सकता है। यूडी टैक्स की कॉमर्शियल रेट्स वसूल की जा सकती हैं। रेस्मा एक्ट लागू कर अनिवार्य सेवाओं को बहाल किया जा सकता है।