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जयपुर

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में बुधवार को महाबंद, सरकारी अस्पतालों में नहीं मिलेगा इलाज

राइट टू हेल्थ बिल (Right to Health Bill) को लेकर अब राज्य सरकार और चिकित्सक आमने सामने हो गए हैं। जहां बिल वापस लिए जाने की मांग को लेकर निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स की ओर से चल रहे आंदोलन को सकारी अस्पतालों के चिकित्सकों और मेडिकल शिक्षकों का भी समर्थन मिल गया है।

जयपुरMar 29, 2023 / 04:41 pm

Manish Chaturvedi

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में कल महाबंद, सरकारी अस्पतालों में नहीं मिलेगा इलाज

राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में कल महाबंद, सरकारी अस्पतालों में नहीं मिलेगा इलाज

जयपुर। राइट टू हेल्थ बिल (Right to Health Bill) को लेकर अब राज्य सरकार और चिकित्सक आमने सामने हो गए हैं। जहां बिल वापस लिए जाने की मांग को लेकर निजी अस्पतालों के डॉक्टर्स की ओर से चल रहे आंदोलन को सकारी अस्पतालों के चिकित्सकों और मेडिकल शिक्षकों का भी समर्थन मिल गया है। वहीं दूसरी ओर सरकार भी अब बंद में शामिल होने वाले डॉक्टर्स और दूसरे स्टाफ पर कार्रवाई करने के मोड में आ गई है। निजी अस्पतालों के चिकित्सकों के समर्थन में अब बुधवार को प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में मरीजों का इलाज नहीं हो सकेगा क्योंकि यहां से चिकित्सक भी बुधवार को हड़ताल पर रहेंगे जबकि रेजीडेंट डॉक्टर्स पहले से ही हड़ताल पर हैं।

अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय चौधरी ने कहा कि सरकार द्वारा जारी किया गया यह बिल चिकित्सकों पर थोपा गया है और अब चिकित्सक आर-पार की लड़ाई पर उतर गया है, ऐसे में अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ की ओर से 2 घंटे का कार्य बहिष्कार किया जा रहा है जबकि प्राइवेट प्रैक्टिस को भी बंद कर दिया गया है। इसके अलावा 29 मार्च को महाबंद का आह्वान चिकित्सकों की ओर से किया गया है। जिसमें तमाम सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों ने भी इसको समर्थन दिया है। जिसमें अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ और मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन भी शामिल है।

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बंद में शामिल हुए तो होगी कार्रवाई, चिकित्सा विभाग के आदेश
चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को होने वाली हड़ताल को देखते हुए सभी चिकित्सकों और अन्य स्टाफ की अवकाश निरस्त कर दिए हैं। चिकित्सा विभाग के संयुक्त शासन सचिव इकबाल खान ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं। जिसमें सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों को इस संबंध में जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसमें कहा गया है कि मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को नियमित रूप से प्रतिदिन मेडिकल टीचर्स, डॉक्टर्स, रेजीडेंट्स, पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ की उपस्थिति की सुबह 9.30 बजे तक चिकित्सा और स्वास्थ्य विभाग को भिजवानी होगी।

यह भी निर्देश दिए गए हैं कि बिना अवकाश स्वीकृत करवाए हुए गायब रहने वाले डॉक्टर्स और अन्य स्टाफ पर अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाएगी। सभी डॉक्टर्स, मेडिकल टीचर्स,रेजीडेंट्स, पेरामेडिकल और नर्सिंंग स्टाफ केवल विशेष परिस्थितियों में ही प्राचार्य/ अधीक्षक अवकाश स्वीकृत कर सकेंगे और इसकी सूचना उन्हें तुरंत विभाग को देनी होगी।

विभाग न निर्देश दिए हैं कि यदि रेजीडेंट डॉक्टर्स अपने दायित्व में किसी भी प्रकार की लापरवाही बरतते हैं, राजकीय सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाते हैं, मरीज या उनके परिजनों के साथ दुव्र्यवहार करते हैं तो उनका पंजीयन रद्द करने की कार्यवाही प्रारंभ की जाए। साथ ही नियमित कार्मिकों के कार्य बहिष्कार करने पर उनके विरूद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही की जाए।

चिकित्सा मंत्री बोले, बिल नहीं होगा वापस
इससे पूर्व मंगलवार सुबह निजी अस्पतालों के चिकित्सकों ने साइकिल रैली निकाली वहीं दूसरी ओर प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा ने एक बार फिर से साफ किया है कि चिकित्सकों के लिए वार्ता के द्वार खुले हैं लेकिन किसी भी सूरत में इस बिल को वापस नहीं लिया जाएगा

क्रमिक अनशन पर चिकित्सक, दी आमरण अनशन की चेतावनी
राजधानी जयपुर के चार निजी चिकित्सकों ने क्रमिक अनशन शुरू कर दिया। इन चिकित्सकों में अजमेर रोड स्थित अमर जैन अस्पताल के डॉ. प्रेम कुमावत, सीके बिड़ला अस्पताल के डॉ. अविरल गुप्ता, स्पेक्लिस्ट हॉस्पिटल विद्याधर नगर के डॉ. अंशुल शाह और शिवम अस्पताल के फिजिशियन डॉ.सीपी सुधार ने क्रमिक अनशन शुरू कर दिया।

मरीज होते रहे परेशान
वहीं एसएमएस अस्पताल सहित अन्य सरकारी अस्पतालों में रेजीडेंट डॉक्टर्स की हड़ताल के चलते मरीज परेशान होते रहे। पर्ची कटवाने के लिए मरीजों की लंबी कतार लगी रही। लेकिन सभी को इलाज नहीं मिल सका। बड़ी संख्या में मरीज बिना इलाज करवाए हुए वापस लौटे।

https://youtu.be/obyess9cCDo

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