जयपुर। राज्य के सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए चिकित्सकीय सुविधा की सौगात बनी राजस्थान गवर्नमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) योजना से कई निजी अस्पताल किनारा करने लगे हैं। कुछ अस्पतालों ने तो इस योजना के ओपीडी मरीजों को देखने से ही इनकार कर दिया है। जबकि राज्य सरकार के साथ पीपीडी मोड में संचालित मेट्रो मास अस्पताल सहित कई अन्य निजी अस्पतालों ने अपने स्तर पर ही ओपीडी मरीज देखने की अधिकतम सीमा तय कर दी है। ऐसा करने वाले कई अस्पतालों ने इसकी सूचना आरजीएचएस योजना से जुड़े अधिकारियों को भी दी है।
एक अस्पताल ने इस योजना में आने वाले मरीजों की ओर से अस्पताल कार्मिकों से दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए इस योजना से किनारा कर लिया। गौरतलब है कि राज्य सरकार अस्पताल को आरजीएचएस योजना में ओपीडी मरीज देखने पर अस्पताल को 135 रुपए प्रति मरीज भुगतान करती है। जबकि अन्य मरीजों से अस्पताल 500 रुपए या इससे भी अधिक शुल्क वसूल करते हैं।
अस्पताल बोला,,,रोज-रोज के झगड़ों से परेशान हो गए अस्पताल प्रबंधन के मुताबिक इस योजना की ओपीडी में आए दिन जांचें व दवाइयां लिखने को लेकर विवाद के हालात बन रहे हैं। रोज-रोज के विवाद के चलते उन्होंने आरजीएचएस के अधिकारियों को इसके ओपीडी मरीज देखने से इनकार किया है।
बोर्ड टंगा देख चौंके मरीज शनिवार को मेट्रो मास अस्पताल पहुंचे सरकारी कार्मिकों ने पत्रिका को बताया कि यहां 150 मरीज से ज्यादा नहीं देखने का बोर्ड लगा हुआ था। जबकि इस तरह के कोई सरकारी आदेश नहीं है। इस बारे में उन्होंने अस्पताल के प्रशासनिक अ धिकारियों से बात की तो टका से जवाब मिला कि वो मरीज देख तो रहे हैं, कुछ तो देख भी नहीं रहे हैं। इनका कहना था कि वे आरजीएचएस अधिकारियों को बात चुके हैं कि वे इससे अ धिक मरीज नहीं देखेंगे।
निजी अस्पतालों के तर्क और उन पर सवाल तर्क : दुव्यर्वहार से परेशान होकर योजना से किनारा
सवाल : कुछ मरीजों की ओर से ऐसा करने की अस्पताल ने कोई एफआईआर नहीं करवाई और पूरी योजना से ही किनारा कर लिया, इसे योजना की कम दरों पर इलाज से बचने की गली माना जा रहा है
तर्क : अधिकतम सीमा तय करना
सवाल : अस्पताल अपने स्तर पर अधिकतम सीमा तय नहीं कर सकते, यह तय करने का अधिकार राज्य सरकार के पास होना चाहिए
तर्क : अधिकतम संसाधनों के हिसाब से ही मरीज देखेंगे
सवाल : इस तर्क के बावजूद निजी अस्पतालों में अन्य व्यावसायिक दरों वाले मरीज बिना अधिकतम सीमा तय कर देखे जा रहे हैं
सवाल : कुछ मरीजों की ओर से ऐसा करने की अस्पताल ने कोई एफआईआर नहीं करवाई और पूरी योजना से ही किनारा कर लिया, इसे योजना की कम दरों पर इलाज से बचने की गली माना जा रहा है
तर्क : अधिकतम सीमा तय करना
सवाल : अस्पताल अपने स्तर पर अधिकतम सीमा तय नहीं कर सकते, यह तय करने का अधिकार राज्य सरकार के पास होना चाहिए
तर्क : अधिकतम संसाधनों के हिसाब से ही मरीज देखेंगे
सवाल : इस तर्क के बावजूद निजी अस्पतालों में अन्य व्यावसायिक दरों वाले मरीज बिना अधिकतम सीमा तय कर देखे जा रहे हैं
— आरजीएचएस योजना से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि अस्पताल और कार्मिकों के बारे में आने वाली हर शिकायत का परीक्षण किया जाता है। ऐसे कई मामलों में कार्यवाही भी की गई है। इस योजना में मरीज नहीं देखने और अधिकतम सीमा तय करने की जानकारी अस्पतालों ने दी है, इनके कारणों का परीक्षण करवाया जा रहा है।