जबकि कर्मचारियों का कहना है कि आरजीएचएस से पूर्व राज्य सरकार की ओर से कर्मचारियों को मिल रही इस सुविधा और सेंट्रल गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम (सीजीएचएस) की तर्ज पर उन्होंने आवश्यक पड़ताल के बाद ही नाम जुड़वाए थे।
कर्मचारी बोलीं…
- मेरे जन आधार कार्ड में मेरी सास का नाम था। आरजीएचएस के लिए पंजीकरण करते समय उन्हें अपनी मां के रूप में जोड़ा। योजना के तहत उनका ऑपरेशन करवाया। जिसे आयुष्मान स्वास्थ्य बीमा योजना के माध्यम से भी नि:शुल्क करवाया जा सकता था। ऐसे में अनुचित लाभ हमने जानबूझकर तो उठाया ही नहीं। अब, आरजीएचएस के तहत सास के इलाज में उपयोग की गई राशि का तीन गुना और उस पर ब्याज का भुगतान करने के लिए कहा जा रहा है। आरजीएचएस कार्यालय में इसके बारे में पूछताछ की और उनसे जुर्माना राशि का भुगतान करने के लिए विस्तृत लिखित विवरण देने को कहा तो केवल एक्सेल फ़ाइल दिखाई गई। मैंने उस राशि का भुगतान नहीं किया तो आरजीएचएस कार्ड ब्लॉक कर दिया गया। महिला कर्मचारी
विभाग ने माना था आश्रित श्रेणी में
चिकित्सा विभाग में कार्यरत कर्मचारी ने कार्ड में सास ससुर के नाम के आधार पर उनका इलाज करवाया। कुछ महीनों बाद विभाग ने सास ससुर को आश्रित की श्रेणी में मानने से इनकार करते हुए इलाज के पैसे की वसूली का नोटिस जारी कर दिया और वेतन से कटौती भी शुरू कर दी। जबकी विभाग की ओर से सूचना मांगें जाने पर उनको सही जानकारी दी थी। जिसके बाद विभाग ने कार्ड बनाकर आश्रित श्रेणी में माना था। कार्ड बनवाते समय हमारे से इसका शपथ पत्र भी लिया गया। कर्मचारियों के सवाल- ससुराल परिवार का हिस्सा है तो आरजीएच में क्यों नहीं
- सीजीएचएस ने केंद्र सरकार में कार्यरत महिलाओं को यह लाभ दिया है
- आरजीएचएस जुर्माना देने के लिए कह रहा है तो वे राशि के संबंध में व्यक्तिगत रूप से दोषपूर्ण व्यक्ति के नाम पर आधिकारिक आदेश क्यों नहीं दिए जा रहे
- कार्ड निष्क्रिय कर दिया गया है तो आरजीएचएस के लिए अभी भी वेतन राशि से शुल्क क्यों काटा जा रहा है
“गलत जानकारी देने वालों से कर रहे वसूली”
आरजीएचएस में सिविल सर्विसेज मेडिकल अटेंडेंस रूल्स लागू हैं। उसमें कर्मचारी के माता और पिता ही शामिल हैं। इस नियम की अवहेलना कर सास ससुर को माता-पिता के कॉलम में जोड़कर अनुचित लाभ उठाने वालों से रिकवरी की जा रही है। कार्ड ब्लॉक जैसी कोई बात नहीं है। नियमानुसार पैसे जमा करवा दें तो कार्ड शुरू ही है। कई कर्मचारियों ने तो पैसे जमा भी करवा दिए हैं। शपथ पत्र तो वो है, जिसमें सभी जानकारी सही होने के लिए पूछा जाता है।शिप्रा विक्रम, परियोजना अधिकारी, आरजीएचएस