गहलोत ने उन्हें लिखा है कि अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए उत्तर मैट्रिक छात्रवृति योजना संचालित की जा रही है। योजना के अनुसार केन्द्र व राज्य के बीच 75ः25 का अनुपात निर्धारित है। राज्य में प्रतिवर्ष इस योजनान्तर्गत लगभग 3 लाख आवेदन प्राप्त होते हैं, जिनके भुगतान के लिए प्रतिवर्ष लगभग 400 करोड़ रुपए की आवश्यकता होती है। इस राशि में करीब 300 करोड़ रुपए केन्द्रीय अंश होता है।
मुख्यमंत्री ने पत्र में लिखा है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में राज्य को इस योजना के तहत प्राप्त आवेदनों के आधार पर 380.26 करोड़ रुपए (केन्द्रीय अंश राशि 285.20 करोड़ रुपए) की माँग निर्धारित थी। जिसके विरुद्ध केन्द्र ने 77.81 करोड रुपए जारी किए हैं। केन्द्र सरकार के हिस्से के 300 करोड़ रुपए सहित कुल 730.81 करोड़ की राशि बकाया है। उन्होंने प्रधानमंत्री से बकाया राशि को शीघ्र से जारी किए जाने का आग्रह किया ताकि राज्य के अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों को समय पर छात्रवृत्ति का भुगतान किया जा सके।
गहलोत ने कहा कि विद्यार्थियों की शिक्षा को सुचारू रूप से जारी रखने के लिए उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए सहायता राशि समय पर जारी किया जाना आवश्यक होता है। उन्होंने लिखा कि राज्य का बजट वित्तीय वर्ष के प्रारम्भ में ही आवंटित कर दिया जाता है। ऐसे में केन्द्र सरकार के हिस्से की राशि के समय पर पुनर्भरण नहीं होने से राज्य सरकार को भी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। मुख्यमंत्री ने पत्र के माध्यम से प्रधानमंत्री से बकाया राशि जल्द से जल्द जारी किए जाने का आग्रह किया है।