इसलिए हो गई चूक
सरकार के एक साल पूरे होने पर सरकार के दबाव में आरपीएससी और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड ने बड़ी संख्या में भर्तियां निकाली है। ऐसे में भर्तियों के नियमों को दरकिनार कर दिया गया। आयोग ने जल्दबाजी में भर्ती जारी कर दी। अब बेरोजगार आयोग के पास योग्यता नियमों को संशोधन के लिए चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है।भर्तियाें में ये हुई चूक
शैक्षणिक योग्यता भूले : आरपीएएसी ने विज्ञप्ति में लिखा है कि उक्त पदों की अपेक्षित शैक्षणिक अर्हता के अंतिम वर्ष में शामिल हो चुका है, या शामिल हो रहा है, वह व्यक्ति आवेदन कर सकता है। इस हिसाब से यूजी और पीजी अंतिम वर्ष का अभ्यर्थी भी आवेदन करने के योग्य है, जबकि नियमानुसार नेट और पीएचडी जरूरी है।यूजीसी नियम दरकिनार : यूजीसी के नियमाें के अनुसार सहायक आचार्य भर्ती रेगुलेशन में अभ्यर्थी का चयन में एपीआइ के माध्यम से किया जाना है। इसमें आवेदन के समय टेबल 3 अ व 3 ब के अनुरूप एपीआइ मांगी जानी चाहिए। इसमें पीएचडी ,शैक्षिक अनुभव, रिसर्च पेपर, अवार्ड, आदि के अंकों व इंटरव्यू के आधार में मेरिट तैयार की जानी है, लेकिन इस भर्ती में यूजीसी रेगुलेशन को अपनाए बिना ही भर्ती निकाल दी गई।
आरक्षण अनुरूप पदों वर्गीकरण नहीं : आयोग ने भर्ती में जितने भी पद बताए हैं, उन पदों का आरक्षण अनुरूप वर्गीकरण नहीं किया। किस कैटेगरी में कितने पद हैं। इसके बारे में नहीं बताया गया है। ऐसे में अभ्यर्थियों के बीच असमंजस की स्थिति बनी है।
विषयों का उल्लेख नहीं : भर्ती के विज्ञापन में विषयवार भी जानकारी नहीं दी गई है। सहायक आचार्य भर्ती में विषयवार पद दिए गए हैं, लेकिन यह भी उल्लेख नहीं किया गया कि स्नातकोत्तर किस विषय में होना जरूरी है।
ये हैं यूजीसी के अनुसार योग्यता
नियमों के अनुसार स्नातकोत्तर में 55 फीसदी अंकों के अलावा जिस विषय में स्नातकोतर उसी विषय में नेट या पीएचडी होना जरूरी है। इसी के साथ आवेदक वाणिज्य, कला या विज्ञान के विषय जिनमें भर्ती निकाली गई है, उन्हीं में स्नातकोतर के साथ नेट या पीएचडी होना चाहिए।बनय सिंह, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ