न्यायाधिकरण ने कन्हैयालाल शर्मा बनाम मेंटोर होम लोन्स इंडिया प्रा.लिमिटेड मामले में यह आदेश दिया। अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने न्यायाधिकरण को बताया कि प्रार्थी ने एक वित्तीय संस्था से 2018 में 14 लाख रुपए का ऋण लिया, जिसमें से करीब 12 लाख रुपए चुका दिए गए। कोरोनाकाल में ऋण की कुछ किस्तें जमा नहीं हुई। हालांकि इस अवधि की किस्तों को लेकर आरबीआई ने कुछ दिशा-निर्देश जारी कर लोगों को राहत देने का प्रावधान किया।
इसके बावजूद वित्तीय संस्था ने ऋणी पर डिफॉल्ट ब्याज की डिमांड निकाल दी और सरफेसी एक्ट के तहत 27 लाख रुपए की मांग की। इसके खिलाफ न्यायाधिकरण में मामला लंबित रहते वित्तीय संस्थान ने प्रार्थी की संपत्ति को कब्जे में ले लिया। वित्तीय संस्थान की इस कार्रवाई को प्रार्थी ने न्यायाधिकरण में चुनौती देते हुए कहा कि सरफेसी कानून में कार्रवाई से पहले कोई नोटिस जारी नहीं किया और आरबीआई के निर्देश वित्तीय संस्थान पर भी लागू होते हैं। इस पर न्यायाधिकरण ने प्रार्थी को राहत देते हुए वित्तीय संस्थान को निर्देश दिया कि कब्जे में ली गई संपत्ति प्रार्थी को लौटा दी जाए।