तीसरी बार प्रयास में मेरा चयन हो गया। यह कहना राजधानी में गोपालपुरा निवासी दृस्टिबाधित प्रगति सिंघल का। प्रगति ने दृस्टिबाधित महिला श्रेणी में पहली रैंक पाई है। प्रगति के अनुसार इस मुकाम तक पहुंचने में उनके परिवारजनों और स्कूल समय से पढ़ाने में मदद करने वाले शिक्षक केशव देव का योगदान रहा है।
अरुणिमा सिंहा की जीवनी से हुई प्रेरित
2011 में अरुणिमा सिंहा की जीवनी सुनी। पैर नहीं होने के बाद भी उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर पहुंच गई। वहीं से प्रेरणा मिली। सोचा मैं सिर्फ देख नहीं सकती लेकिन सुन सकती हूं और चल सकती हूं। तभी से किताब को रेकॉर्ड कर सुनकर पढ़ाई की। आरएएस बनकर अपना सपना पूरा किया है।