जयपुर

रेपिस्ट जीवाणु को शेष जीवन जेल की सलाखों में बंद रखने के आदेश, कोर्ट ने कहा-ऐसे अपराधी को समाज से दूर रखना जरूरी

साइको सीरियल रेपिस्ट जीवाणु को पॉक्सो कोर्ट ने शेष पूरा जीवन के लिए कारावास की सजा सुनाई है। सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधी को समाज से दूर रखना जरूरी है।

जयपुरNov 27, 2020 / 08:03 pm

Kamlesh Sharma

साइको सीरियल रेपिस्ट जीवाणु को पॉक्सो कोर्ट ने शेष पूरा जीवन के लिए कारावास की सजा सुनाई है। सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधी को समाज से दूर रखना जरूरी है।

जयपुर। साइको सीरियल रेपिस्ट जीवाणु को पॉक्सो कोर्ट ने शेष पूरा जीवन के लिए कारावास की सजा सुनाई है। सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधी को समाज से दूर रखना जरूरी है। यह जरूरी है कि वह जेल में रहकर अपने कृत्यों का प्रायश्चित करें। शास्त्रीनगर इलाके में 1 जुलाई 2019 को 7 साल की बच्ची के साथ हुए दुष्कर्म की घटना से पूरा शहर सकते में आ गया था। पुलिस के लिए चुनौती बनी इस वारदात को खोलने के लिए पुलिस कमिश्नर की मोनेटरिंग में टीम का गठन किया गया था। जिसने 7 जुलाई को आरोपी जीवाणु को कोटा से गिरफ्तार किया था।
राजधानी में तनाव कारण बना शास्त्री नगर में मासूम से रेप की घटना ने सरकार और पुलिस दोनों के लिए चुनौती बन गई थी। मामले में आरोपी सिकंदर उर्फ जीवाणु (34) को जयपुर की पोक्सो कोर्ट-3 के न्यायाधीश डॉ. एलडी किराडू ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने जीवाणु को शेष प्राकृत जीवन जेल की सलाखों के पीछे रखने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधी को समाज से दूर रखना जरूरी है। मामले में विशेष लोक अभियोजक महावीर सिंह किशनावत ने कुल 36 गवाह पेश किए। इसी के साथ 111 दस्तावेज पेश किए। जिससे अभियोजन ने पूरे मामले को कोर्ट में जीवाणु को आरोपी साबित करने में सफलता मिली। सरकार की ओर से आरोपी को फांसी की सजा देने की मांग की गई। अधिवक्ता किशनावत ने इस मामले को दुलर्भ से दुलर्भतम बताते हुए कहा कि जीवाणु का पूरी तरह से खात्मा होना चाहिए और फांसी से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए लेकिन कोर्ट ने सरकार की फांसी की सजा को ठुकरा दिया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
स्पेशल केस आफीसर स्कीम से मिला फायदा
जीवाणु को पकड़ने के साथ ही पुलिस ने उसके अंजाम तक पहुंचाने की पूरी तैयार की। मामले को स्पेशल केस आफीसर स्कीम में शामिल किया गया और सीआई सगन सिंह को केस इंचार्ज बनाया गया। हर तारीख पर गवाहों को ले जाने का जिम्मा उपनिरीक्षक प्रभूसिंह को सौंपा। मामले की जांच अधिकारी प्रमोद स्वामी और तत्कालीन डीसीसी नार्थ मनोज चौधरी ने दिन प्रति दिन केस की मोनेटरिंग की। कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने के लिए विशेष लोक अभियोजक के तौर पर महावीर सिंह किशनावत को नियुक्त किया गया।
पहले भी उम्रकैद की सजा हो चुकी है
सिकंदर उर्फ जीवाणु के खिलाफ गंभीर किस्म के कई अपराध पहले भी दर्ज हो चुके थे। वह मासूम बच्चियों को अपना शिकार बनाता था। उन्हें डराने के लिए टॉय गन रखता है। जीवाणु को 17 जनवरी, 2004 में मुरलीपुरा थाना इलाके में एक मासूम बच्चे को ब्रेड खिलाने के बहाने ले जाकर कुकर्म और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई थी। जेल से वर्ष 2015 में बाहर आने के बाद नवंबर 2017 में भट्टा बस्ती थाना इलाके में दो बच्चियों से छेड़छाड़ की वारदात की। उसने चोरी व नकबजनी समेत कई वारदातों को अंजाम दिया। उसने इससे पहले 22 जुलाई 2018 को शास्त्रीनगर इलाके में ही चार वर्ष की एक बच्ची से रेप किया।
सिकंदर उर्फ मौत का कहर
विशेष लोक अभियोजक किशनावत ने कोर्ट को बताया कि पुलिस को उसके घर से एक कॉपी भी मिली थी। उसमें उसने एक युवती की फोटो पेंट कर रखी थी। इसी कॉपी में उसने अपनी रौबदार फोटो भी बना रखी थी जिस पर लिख था’सिकंदर उर्फ मौत का कहर’।
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त के नेतृत्व में बनी टीम
जीवाणु को पकड़ने के लिए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अजयपाल लांबा के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया। आरोपी को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए पुलिस महानिदेशक ने भट्टा बस्ती के हैड कांस्टेबल दिनेश यादव और सुभाष चौक थाने के कांस्टेबल को आउट आफ टर्न पदोन्नति दी। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त जयपुर उत्तर द्वितीय धर्मेंद्र सागर और उनकी टीम को डीजीपी डिस्कदी गई। इसी के साथ जांच अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर आरपीएस प्रमोद स्वामी, सीआई राधारमन गुप्ता, देवेंद्र कुमार, रवि कुमार और उपनिरीक्षक मदनलाल, प्रभूसिंह के साथ कांस्टेबल चेतन प्रकाश, सुनील कुमार, दीपक कुमार को नकद पुरस्कार भी दिया गया।

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