जीवाणु को पकड़ने के साथ ही पुलिस ने उसके अंजाम तक पहुंचाने की पूरी तैयार की। मामले को स्पेशल केस आफीसर स्कीम में शामिल किया गया और सीआई सगन सिंह को केस इंचार्ज बनाया गया। हर तारीख पर गवाहों को ले जाने का जिम्मा उपनिरीक्षक प्रभूसिंह को सौंपा। मामले की जांच अधिकारी प्रमोद स्वामी और तत्कालीन डीसीसी नार्थ मनोज चौधरी ने दिन प्रति दिन केस की मोनेटरिंग की। कोर्ट में सरकार का पक्ष रखने के लिए विशेष लोक अभियोजक के तौर पर महावीर सिंह किशनावत को नियुक्त किया गया।
सिकंदर उर्फ जीवाणु के खिलाफ गंभीर किस्म के कई अपराध पहले भी दर्ज हो चुके थे। वह मासूम बच्चियों को अपना शिकार बनाता था। उन्हें डराने के लिए टॉय गन रखता है। जीवाणु को 17 जनवरी, 2004 में मुरलीपुरा थाना इलाके में एक मासूम बच्चे को ब्रेड खिलाने के बहाने ले जाकर कुकर्म और हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा हुई थी। जेल से वर्ष 2015 में बाहर आने के बाद नवंबर 2017 में भट्टा बस्ती थाना इलाके में दो बच्चियों से छेड़छाड़ की वारदात की। उसने चोरी व नकबजनी समेत कई वारदातों को अंजाम दिया। उसने इससे पहले 22 जुलाई 2018 को शास्त्रीनगर इलाके में ही चार वर्ष की एक बच्ची से रेप किया।
विशेष लोक अभियोजक किशनावत ने कोर्ट को बताया कि पुलिस को उसके घर से एक कॉपी भी मिली थी। उसमें उसने एक युवती की फोटो पेंट कर रखी थी। इसी कॉपी में उसने अपनी रौबदार फोटो भी बना रखी थी जिस पर लिख था’सिकंदर उर्फ मौत का कहर’।
जीवाणु को पकड़ने के लिए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त अजयपाल लांबा के नेतृत्व में टीम का गठन किया गया। आरोपी को पकड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए पुलिस महानिदेशक ने भट्टा बस्ती के हैड कांस्टेबल दिनेश यादव और सुभाष चौक थाने के कांस्टेबल को आउट आफ टर्न पदोन्नति दी। अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त जयपुर उत्तर द्वितीय धर्मेंद्र सागर और उनकी टीम को डीजीपी डिस्कदी गई। इसी के साथ जांच अनुसंधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने पर आरपीएस प्रमोद स्वामी, सीआई राधारमन गुप्ता, देवेंद्र कुमार, रवि कुमार और उपनिरीक्षक मदनलाल, प्रभूसिंह के साथ कांस्टेबल चेतन प्रकाश, सुनील कुमार, दीपक कुमार को नकद पुरस्कार भी दिया गया।