कांच में खुद का चेहरा देख रही है पद्मिनी
चित्तौडग़ढ़ के अभेद दुर्ग में गौमुख कुंड के पास जो मंदिर बना हुआ है उस मंदिर में बनी महारानी पद्मिनी की प्रतिमा कांच में अपना चेहरा देखते हुए कुछ सोच रही हैं। हल्के भूरे रंग के पत्थर पर उकेरी गई महारानी पद्मिनी की यह प्रतिमा करीब 700 साल पुरानी बताई जाती है। प्रतिमा भी इतनी आकर्षक है कि इसे देखने वाले एकटक देखते रह जाते हैं। माता का दर्जा देते हुए कई भक्त इस प्रतिमा पर चुनरी भी चढ़ाते हैं। बताया जाता है कि मंदिर से जा रही सुरंग कुंभा महल तक जाती है। हालांकि इसे अभी बंद कर रखा है।
मेवाड़ के रावल रतनसिंह की पत्नी रानी पद्मिनी का भारत के जनमानस में एक विशिष्ट वीरांगना और सतीनारी के रूप में शाश्वत स्थान है। सन् 1303 में अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय महारानी पद्मिनी ने हजारों नारियों के साथ जौहर कर लिया था।