जयपुर

Randhan chhath 2020 : संतान के लिए एक दिन पहले ही पकवान बनाने का व्रत

सनातन धर्म में भाद्रपद महीना व्रत त्‍योहार और पूजापाठ के लिए जाना जाता है। इस माह रोज कोई न कोई अहम तिथि या व्रत, त्‍योहार रहता है. इस महीने में जहां श्रीकृष्ण का जन्म दिन जन्माष्‍टमी के रूप में मनाया जाता है वहीं उनके ज्‍येष्‍ठ भ्राता बलरामजी के जन्‍मोत्‍सव को बलराम जयंती के रूप में मनाते हैं. भादों के महीने में इनके अलावा भी कई प्रमुख बड़े व्रत त्‍योहार पड़ते हैं।

जयपुरAug 09, 2020 / 08:58 am

deepak deewan

Randhan Chhath Recipes Rituals and Rules

जयपुर.
सनातन धर्म में भाद्रपद महीना व्रत त्‍योहार और पूजापाठ के लिए जाना जाता है। इस माह रोज कोई न कोई अहम तिथि या व्रत, त्‍योहार रहता है. इस महीने में जहां श्रीकृष्ण का जन्म दिन जन्माष्‍टमी के रूप में मनाया जाता है वहीं उनके ज्‍येष्‍ठ भ्राता बलरामजी के जन्‍मोत्‍सव को बलराम जयंती के रूप में मनाते हैं. भादों के महीने में इनके अलावा भी कई प्रमुख बड़े व्रत त्‍योहार पड़ते हैं।
भाद्रपद माह की षष्ठी तिथि पर भी पर्व मनाया जाता है. इस व्रत त्‍योहार को कई रूपों में मनाते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि उत्‍तर भारत में इसे हल छठ के रूप में मनाया जाता है. गुजरात में इसे राधन छठ के रूप में मनाते हैं. इस साल राधन छठ 9 अगस्‍त को मनाई जा रही है। जन्‍माष्‍टमी से पहले पड़ने वाली राधन छठ से अनेक परंपराएं और रीति रिवाज जुड़े हैं। गुजरात में यह पर्व विभिन्न पकवानों के बनाने के दिन के रूप में भी जाना जाता है.
दरअसल राधन छठ के अगले दिन सप्‍तमी को शीतला सप्‍तमी का व्रत रखा जाता है. ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश शर्मा के अनुसार इस दिन संतान की रक्षा करने वाली शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला माता की पूजा के दिन सप्तमी पर यहां घरों में चूल्‍हे नहीं जलाने की परंपरा है. इसका पालन करने के लिए यहां राधन छठ के दिन ही महिलाएं सप्तमी के दिन के लिए भी खाना बनाकर रख लेती हैं. अगले दिन शीतला माता की पूजा के बाद ही एक दिन पहले छठ के दिन बनाया हुआ ठंडा भोजन किया जाता है।

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