भाद्रपद माह की षष्ठी तिथि पर भी पर्व मनाया जाता है. इस व्रत त्योहार को कई रूपों में मनाते हैं. ज्योतिषाचार्य पंडित दीपक दीक्षित बताते हैं कि उत्तर भारत में इसे हल छठ के रूप में मनाया जाता है. गुजरात में इसे राधन छठ के रूप में मनाते हैं. इस साल राधन छठ 9 अगस्त को मनाई जा रही है। जन्माष्टमी से पहले पड़ने वाली राधन छठ से अनेक परंपराएं और रीति रिवाज जुड़े हैं। गुजरात में यह पर्व विभिन्न पकवानों के बनाने के दिन के रूप में भी जाना जाता है.
दरअसल राधन छठ के अगले दिन सप्तमी को शीतला सप्तमी का व्रत रखा जाता है. ज्योतिषाचार्य पंडित दिनेश शर्मा के अनुसार इस दिन संतान की रक्षा करने वाली शीतला माता की पूजा की जाती है। शीतला माता की पूजा के दिन सप्तमी पर यहां घरों में चूल्हे नहीं जलाने की परंपरा है. इसका पालन करने के लिए यहां राधन छठ के दिन ही महिलाएं सप्तमी के दिन के लिए भी खाना बनाकर रख लेती हैं. अगले दिन शीतला माता की पूजा के बाद ही एक दिन पहले छठ के दिन बनाया हुआ ठंडा भोजन किया जाता है।