राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम के अध्यक्ष व प्रबन्ध निदेशक आर.के. शर्मा ने बताया कि निगम के अभियंताओं की देखरेख और अनवरत मेहनत के कारण ही इस इकाई से फिर से बिजली उत्पादन शुरू किया गया है। जल्द ही चतुर्थ इकाई को भी पुनःसंचालन करने के निर्देश दिए है। इस पन बिजलीघर की चारों इकाइयां 14 सितम्बर 2019 को जल विभीषिका में पूर्णतया जलमग्न हो गई थी।
इनका रहा विशेष योगदान….
प्रबन्ध निदेशक आर.के. शर्मा ने बताया कि राणा प्रताप सागर पन बिजलीघर की 43 मेगावाट की प्रथम इकाई से विद्युत उत्पादन शुरू करने में मुख्य अभियन्ता देवेन्द्र श्रृंगी, अधीक्षण अभियन्ता नरेन्द्र सिंह, संजय बाहेती, अधिशाषी अभियंता राजकुमार गुप्ता, राजीव रोलीवाल, आशीष जैन, धीरज गुप्ता, सहायक अभियंता राजेश गुप्ता सहित समस्त पन बिजलीघर के अभियंता एवं तकनीकी कर्मियों का विशेष योगदान रहा है।
प्रबन्ध निदेशक आर.के. शर्मा ने बताया कि राणा प्रताप सागर पन बिजलीघर की 43 मेगावाट की प्रथम इकाई से विद्युत उत्पादन शुरू करने में मुख्य अभियन्ता देवेन्द्र श्रृंगी, अधीक्षण अभियन्ता नरेन्द्र सिंह, संजय बाहेती, अधिशाषी अभियंता राजकुमार गुप्ता, राजीव रोलीवाल, आशीष जैन, धीरज गुप्ता, सहायक अभियंता राजेश गुप्ता सहित समस्त पन बिजलीघर के अभियंता एवं तकनीकी कर्मियों का विशेष योगदान रहा है।
प्रबन्ध निदेशक आर.के. शर्मा ने बताया कि राजस्थान एवं मध्यप्रदेश राज्यों की साझा चम्बल घाटी परियोजना के अन्तर्गत तहत 1968 में चम्बल नदी पर बने राज्य के राणा प्रताप सागर बांध पर स्थापित 172 मेगावाट (43 मेगावाट गुणा 4 यूनिट) क्षमता के पन बिजलीघर का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री स्व. इन्दिरा गांधी की ओर से किया गया था। वर्ष 1968 में स्थापना के पश्चात राणा प्रताप सागर पन बिजलीघर से 2365 करोड़ यूनिट की सबसे सस्ती एवं हरित विद्युत ऊर्जा का उत्पादन किया जा चुका है।