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जयपुर

Rajasthan News : वर्ष 2005 के बाद पहली बार जयपुर के रामगढ़ बांध में आया इतना पानी, जानें भरेगा या नहीं

Rajasthan News : जयपुर का रामगढ़ बांध पानी से लबालब भरने को बैचेन है। पर लेकिन सिस्टम की नाकामी से सहायक नदियों का पानी बांध के गेज तक नहीं पहुंचा है। रामगढ़ बांध पानी से भरेगा या नहीं। यह वक्त बताएगा।

जयपुरSep 13, 2024 / 03:51 pm

Sanjay Kumar Srivastava

बाण गंगा

Rajasthan News : इस बार हो रही अच्छी बारिश से राजस्थान के कुल 691 बांधों में से 376 बांध लबालब हो चुके हैं, जबकि बाकी बचे बांध भी 84 फीसदी तक भर चुके हैं। रामगढ़ बांध की किस्मत सिस्टम ने कुछ ऐसी लिख दी है कि उसकी झोली अब तक खाली ही थी, लेकिन 19 साल बाद पानी रामगढ़ बांध में आने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहा है और पांच-सात फीट आ भी चुका है। लेकिन सिस्टम की नाकामी से सहायक नदियों का पानी बांध के गेज तक नहीं पहुंचा है।

अच्छी बारिश होने से रामगढ़ की लौटी हैं सांसें

बांध के कैचमेंट एरिया में भी इस बार अच्छी बारिश होने से रामगढ़ की सांसें लौटी हैं। बांध की सहायक रोडा नदी व बांध क्षेत्र में गुरुवार सुबह 67 एमएम बारिश हुई। इससे बांध की सहायक रोडा नदी में पानी की आवक हुई, लेकिन यह पानी बांध के मुख्य भराव क्षेत्र गेज के पास नहीं पहुंच पाया। हालांकि बांध में आसपास के झरनों का पानी जरूर पहुंचा। अब बांध के मुख्य भराव क्षेत्र में पानी पहुंच गया है और गेज से कुछ मीटर दूर है। बांध की पहाड़ियों पर अच्छी बरसात होने से झरनों के पानी की आवक हो रही है। गोपालगढ़ गांव के समीप पहाडियों से आने वाले नाले से भी पानी की अच्छी आवक हुई। जिससे रामगढ़ बांध जयपुर के मुख्य भराव क्षेत्र में पानी आया।
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सिस्टम ने ऐसे घोंटा बांध का गला

रामगढ़ बांध का कैचमेंट एरिया 759 वर्ग किलोमीटर है। बांध की मुख्य नदी बाणगंगा, रोडा नदी, माधोवेणी व गौमती नाला में आने वाले सभी नालों पर जलग्रहण योजना, मनरेगा योजना, अकाल राहत योजनाओं के तहत जल संसाधन विभाग व वन विभाग ने चैकडेम, एनीकट, तालाब, तलाई, जोहड़ व जल संरक्षण संरचनाएं बनाकर नदियों का गला घोंट दिया है। रही-सही कसर अतिक्रमण ने पूरी कर दी है।

इसलिए नहीं पहुंचा नदियों का पानी

रोडा नदी जमवारामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य के जंगल से निकलती है। अभयारण्य क्षेत्र के कुंडयाल इलाके में बड़ा बांध है। इसके बाद नौताणी बांध है। इससे आगे फूटा पापडा बांध है। इसके बाद डाल्यावाली बंधा, नैनी खौळ का बंधा, सांकडा का बंधा व नर्सली का बंधा रोडा नदी पर बने हुए हैं। ये सभी लगभग छलक चुके हैं। यदि ये बंधे नहीं होते तो रामगढ़ बांध में इस समय दस से 15 फीट पानी की आवक हो चुकी होती। वहीं रोडा नदी का पाट भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुका है।

पांच साल पहले बनाया चैनल, अब हुआ बंद

जल संसाधन विभाग ने रामगढ़ बांध में नदी का पानी मुख्य भराव क्षेत्र तक पहुंचाने के लिए मनरेगा योजना में पांच वर्ष पहले रोडा नदी के बीच से चैनल बनाई थी, जो अब बिशनपुरा के पास बंद हो गई है। यहां रेत के ऊंचे टीले हैं और रोडा नदी का पानी आकर बड़े-बड़े गड्ढों में फैल गया, जिसके चलते यहां से पानी बांध के मुख्य भराव क्षेत्र तक नहीं पहुंच सका। चैनल को बिशनपुरा से जलभराव क्षेत्र तक बनाने की जरूरत है।

डाउन स्ट्रीम में चली बाणगंगा नदी

विराटनगर व शाहपुरा क्षेत्र में अच्छी बरसात नहीं होने से बाणगंगा नदी में पानी की आवक नहीं हो पा रही है। यह भी एक कारण है, जिससे बांध में पानी की आवक नहीं हो रही है। जबकि रामगढ़ बांध की डाउन स्ट्रीम में पहाडियों से बाण गंगा नदी में पानी की आवक हो रही है और अस्थल के पास एनीकट में लोग नहाने का लुत्फ उठा रहे हैं। गुरुवार को एनीकट पर चादर भी चली।

दो गुना से ज्यादा हुई बरसात

रामगढ़ बांध के गेज पर गुरुवार को 67 M.M. (करीब ढाई इंच) बरसात दर्ज की गई। जबकि तहसील जमवारामगढ़ के नियंत्रण कक्ष में 54 M.M. बरसात दर्ज की गई। रामगढ़ बांध पर लगे वर्षामापी यंत्र के अनुसार इस मानसून में अब तक 1079.50 M.M. यानी 43.18 इंच बरसात हुई है। जबकि जमवारामगढ़ तहसील मुख्यालय के वर्षामापी यंत्र के अनुसार मानसूत्र में 1276 M.M. यानी 51 इंच बरसात का पानी गिरा है। जयपुर जिले में औसत बरसात करीब 560 M.M. होती है। इस बार मानसून में दो गुना से अधिक बरसात होने के बावजूद पानी रामगढ़ बांध में नहीं पहुंच सका है।

जमवारामगढ़ का मुख्य नाला भी जाम

जमवारामगढ़ कस्बे से रोडा नदी में आने वाला नाला भी सीरों का बास के पास आकर अतिक्रमण के चलते जाम हो गया है। नाले से जेडीए अतिक्रमण नहीं हटा पा रहा है। जिससे बारिश का पानी यहां से आगे नहीं निकल पाता है।

कनिष्ठ अभियंता महेश मीना ने बताया बड़ा वाजिब कारण

जल संसाधन विभाग, जमवारामगढ़ कनिष्ठ अभियंता, महेश मीना ने कहा रामगढ़ बांध की सहायक रोडा नदी का पानी बिशनपुरा के पास ऊंचे टीले व गड्ढों में फैल जाता है। इस कारण पानी मुख्य भराव क्षेत्र तक नहीं पहुंच पाता है।

पत्रिका व्यू

रामगढ़ बांध की मुख्य नदी बाणगंगा, रोडा नदी, माधोवेणी नदियों पर बने सारे चैकडेम, एनिकट, तालाब, जोहड़ हटाने के साथ सभी नदी-नालों पर जल संरक्षण के लिए बनाई गई संरचनाओं को जमींदोज करने की जरूरत है। कैचमेंट एरिया में नदी-नालों की आवंटित जमीनों के लम्बित रेफरेंस को निस्तारित करके वापस पुरानी स्थिति बहाल करने पर नदियां जीवित हो सकती हैं। नदियों के जीवित होने पर ही रामगढ़ में पूरे वेग से पानी आने का रास्ता खुल सकता है।

पत्रिका उठाता रहा है मुद्दा

जिम्मेदारों की अनदेखी व अतिक्रमणों ने रामगढ़ बांध का गला घोंट दिया। सिस्टम की इस लापरवाही को राजस्थान पत्रिका ने पुरजोर तरीके से उठाते हुए वर्ष 2011 से मर गया रामगढ़ बांध अभियान चला रखा है। जिसमें पत्रिका लगातार खबरें प्रकाशित कर बांध के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण, निर्माण कार्यों को उजागर करता आ रहा है। पत्रिका की खबरों के बाद करीब 13 साल पहले राजस्थान उच्च न्यायालय ने स्वः प्रेरित प्रसंज्ञान लेकर हाईपावर मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया था। मॉनिटरिंग कमेटी लगातार 13 वर्ष से बांध के नैसर्गिक बहाव क्षेत्र का जायजा ले रही है और कई स्थानों से बांध के बहाव में आ रही रुकावट को दूर किया गया है। राजस्थान पत्रिका बांध के बहाव क्षेत्र में हो रहे अतिक्रमण व रुकावट को प्राथमिकता से उठाता आ रहा है। जिससे कई बार प्रशासन को अतिक्रमण हटाने पड़े हैं।
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