जयपुर

कागजों में अटके सभी प्रोजेक्ट, बूंद-बूंद के लिए तरसा रामगढ़

कागजों में अटके सभी प्रोजेक्ट, बूंद-बूंद के लिए तरसा रामगढ़

जयपुरMar 20, 2019 / 05:25 pm

anandi lal

कागजों में अटके सभी प्रोजेक्ट, बूंद-बूंद के लिए तरसा रामगढ़

शरद विश्वास कुमार/जयपुर। राजधानी जयपुर की लाइफ लाइन रहे रामगढ़ बांध के बहाव क्षेत्र को साफ करने में असफल रहने के बाद प्रदेश की पिछली दो सरकारों ने वैकल्पिक माध्यम से इसमें जल लाने की कवायद शुरू की। इसके लिए जल संसाधन विभाग के माध्यम से पिछले छह साल में अलग-अलग योजनाए बनीं, जो अब तक कागजों से बाहर नहीं आ पाई हैं।
अधिकारिक जानकारी के अनुसार, 2012—13 में तात्कालिक कांग्रेस सरकार ने मेज नदी के ओवरफ्लो पानी को लिफ्ट परियोजना के जरिए रामगढ़ बांध में डालने की योजना बनाई थी। बाद में सरकार बदलने पर इस योजना में ईसरदा बांध को भी शामिल किया गया और करीब दो साल तक इस पर सर्वे किया गया। इस तमाम कवायद के बीच तात्कालिक भाजपा सरकार ने वर्ष 2018-19 के बजट में ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट की घोषणा की और पूर्ववर्ती सरकार के प्रोजेक्ट को भी इसमें ही शामिल कर लिया गया। ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट को सेंट्रल वाटर कमीशन के पास अनुमति के लिए भेजा गया है। जहां से अनुमति मिलने पर ही इसे शुरू किया जा सकेगा।
मेज-रामगढ़ , लिफ्ट प्रोजेक्ट
वर्ष 2012-13 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसकी घोषणा की थी। इसमें चंबल की सहायक नदी मेज के सरप्लस पानी को रामगढ़ बांध में लिफ्ट प्रोजेक्ट के तहत पहुंचाने का निर्णय किया गया था। इस प्रोजेक्ट में पेयजल और सिंचाई जल का इंटरबेसिन ट्रांसफर किया जाना तय किया गया था। प्रोजेक्ट की लागत करीब 1909 करोड़ रुपए तय की गई थी। इस प्रोजेक्ट में करीब 160 किमी लंबी केनाल के माध्य से रामगढ़ बांध और रास्ते में आने वाले 29 छोटे जलस्रोतों को भरना शामिल किया गया था। इसके लिए मार्ग में चार पम्पिंग स्टेशन भी बनाए जाने थे। बाद में इस प्रोजेक्ट में ईसरदा बांध को भी शामिल किया जाना प्रस्तावित था। पर यह योजना सरकार बदलने के साथ दो साल सर्वे के बाद ठंड़े बस्ते में चली गई।
ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने वर्ष 2018-19 के बजट में पूर्व राजस्थान के 13 जिलों की पेयजल और सिंचाई की समस्या का समाधान करने के लिए ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 37,000 करोड़ रुपए निर्धारित की गई। इस योजना के माध्यम से चंबल और उसकी सहायक नदियों के पानी को केनाल के माध्यम से पूर्वी राजस्थान के जिलों में पहुंचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इन जिलों में जयपुर, टोंक, सवाईमाधोपुर, अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, कोटा, बारां, दौसा, अजमेर, बूंदी और झालवाड़ को शामिल किया गया है। इस योजना से प्रदेश की करीब पौने तीन करोड़ आबादी को पेयजल और सिंचाई का पानी मिल सकेगा। इस योजना को दो से तीन चरणों में पूरा किया जाना प्रस्तावित है।
प्रोजेक्ट में शामिल करने का प्रयास
पिछली सरकार ने बजट घोषणा के बाद प्रधानमंत्री के पास इस योजना का प्रस्ताव राष्ट्रीय मिशन में शामिल करने के लिए भेजा था। करीब एक साल से अधिक का समय निकल जाने के बाद भी फिलहाल इस प्रोजेक्ट को केंद्र की अनुमति नहीं मिली है। केंद्रीय वाटर कमीशन के पास यह प्रोजेक्ट अटका हुआ है।
सेंटर वाटर कमीशन के पास है प्रोजेक्ट
ईस्टर्न राजस्थान केनाल प्रोजेक्ट के तहत 26 बांधों को एक दूसरे से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा छह से सात नए बैराज और बांध भी बनाए जाएंगे। प्रोजेक्ट को स्वीकृति के लिए सेंटर वाटर कमीशन के पास भेजा हुआ है। रवि सोलंकी, अतिरिक्त मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग

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