जयपुर

रामगंज उपद्रव : आखिर तीन दिन तक पुलिस ने क्यों दबाए रखा भरत की मौत का राज

हिंदूवादी संगठन आए पीडि़त परिवार के समर्थन में, मुर्दाघर पर हंगामा

जयपुरSep 11, 2017 / 06:23 pm

pushpendra shekhawat

जयपुर . रामगंज उपद्रव की रात जिस दिव्यांग का शव लावारिस बताकर एसएमएस मुर्दाघर पर रखवा दिया था, उस पर सोमवार को बवाल हो गया। दिव्यांग के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने तीन दिन तक दिव्यांग की मौत को छुपाए रखा। परिजन और हिंदूवादी संगठन का आरोप है कि आखिर फिर मोहम्मद रहीस उर्फ आदिल का पोस्टमार्टम होने के बाद पुलिस ने परिजन को दिव्यांग बेटे के शव के बारे में बताया। पुलिस ने दिव्यांग के पोस्टमार्टम के लिए कहा तो परिजन ने इनकार कर दिया। हिन्दू संगठनों ने एसएमएस मोर्चरी के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया।

पुलिस के मुताबिक, 21 वर्षीय दिव्यांग भरत कुमार कोडवानी ई-रिक्शा चलाता था। उसके पिता की मौत हो गई। छह साल पहले भरत कुमार ने चाचा की मदद से इकलौती बहन की शादी कर दी। परिवार में भरत और उसकी 52 वर्षीय मां ज्योति हैं। दिव्यांग चाचा नारायण दास ने बताया कि शुक्रवार रात करीब सवा नौ बजे भतीजा ई-रिक्शा से सवारी लेकर रामगंज गया था। फिर करीब साढ़े दस बजे एक व्यक्ति ने उसके मोबाइल पर फोन किया। कहा कि दिव्यांग भरत की तबियत खराब हो गई है। वह उसे अस्पताल लेकर जा रहे हैं। दिव्यांग का ई-रिक्शा राधा गोविंद कॉम्पलेक्स में खड़ा कर दिया है। इस पर नारायण दास और परिजन ई-रिक्शा से माणकचौक थाना आए लेकिन रामगंज बवाल के चलते पुलिस ने उन्हें रामगंज नहीं जाने दिया।

फोन था चालू, टरका रही थी पुलिस

चाचा तोलाराम ने बताया कि शुक्रवार से ही भतीजा भरत का फोन चालू है। उसे फोन करते तो कोई उठाता था लेकिन बात नहीं करता था। शनिवार सुबह ब्रह्मपुरी थाने पर पहुंचे और भतीजे भरत की गुमशुदगी के बारे में बताया। ब्रह्मपुरी पुलिस ने टरका दिया कि मामला रामगंज और माणकचौक थाना का है। वहां पर ही शिकायत करो। इसके बाद रामगंज थाना गए, वहां पर एसएचओ ने शिकायत एक कागज पर लिखी और कहा कि कोई सूचना मिलेगी तो बता देंगे। इसके बाद बूढ़ी मां ज्योति ने तीन दिन से बेटे की याद में खाना नहीं खाया है और उसकी तलाश में भटक रही थी।

फिर आज क्यों आई याद
हिंदूवादी संगठन का कहना है कि शुक्रवार रात रामगंज उपद्रव में मारे गए मोहम्मद रहीस के शव के 30 मिनट बाद भरत का शव एसएमएस के मुर्दाघर पहुंच गया था। फिर पुलिस ने उसकी शिनाख्त के बारे में प्रयास नहीं किए। न ही परिजन के बार-बार भरत के लापता होने की शिकायत पर भी उन्हें एसएमएस मुर्दाघर लेकर नहीं आए। सोमवार सुबह जैसे ही मोहम्मद रहीस के शव को पोस्टमार्टम हो गया तो पुलिस ने सुबह साढ़े नौ बजे परिजन को फोन कर एसएमएस मुर्दाघर शिनाख्त के लिए बुला लिया।

पुलिस के बोल, शनिवार को दर्ज किया मर्ग
पुलिस के मुताबिक, सुभाष चौक थाने का सिपाही और माणकचौक थाने का सीएलजी सदस्य गुलजार को भरत ई-रिक्शा में ठाकुर पचेवर का रास्ता और बिसातियों के मोहल्ला के नुक्कड़ पर मिला था। उसका सिर ई-रिक्शा की स्टेयरिंग पर रखा था। सिपाही ने दिव्यांग भरत की तबियत के बारे में परिजन को फोन किया। फिर गंभीर हालत में उसे एसएमएस की इमरजेंसी में लेकर आए, जहां पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया। फिर शव एसएमएस के मुर्दाघर में रखवा दिया। शनिवार को परिजन जब रामगंज थाने पर शिकायत लेकर आए तो मर्ग दर्ज कर लिया। डीसीपी पूर्व कुंवर राष्ट्रदीप ने बताया कि भरत के शरीर पर कोई निशान नहीं है। उसकी मौत से पर्दा पोस्टमार्टम रिपोर्ट से हट सकेगा।

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