– संसारचंद्र रोड स्थित मस्जिद मीर कुर्बान अली में सज्जादनशीन डॉ. हबीब उर रहमान नियाजी ने तकरीर करते हुए कहा कि रमजान खैर ओ बरकत का अजीम महीना है। इसमें नेकियां बरसती हैं। गुनाहगारों की तौबा कबूल की जाती है। इस्लाम मजहब के अनुसार चार आसमानी किताबंे मानी गई है। कुरान ए शरीफ के साथ ही तीन ओर आसमानी किताबें तोरेत, जुबूर और इंजील भी इस महीने आसमान से जमीन पर उतरी। पवित्र महीना हमें गुस्से पर काबू और संयम करना सिखाता है।
दिनचर्या में बदलाव
इस्लाम (Islam) के फर्ज को पूरा करने के लिए रोजों के तहत माह ए रमजान में पूरे माह इन दिनों समाजजनों की दिनचर्या में बदलाव देखने को मिल रहा है। सुबह सेहरी के लिए तीन बजे से पहले उठने के साथ बच्चे भी इसी माहौल में ढल रहे हैं भीषण गर्मी के बाद भी मासूम बच्चे शिद्दत के साथ गर्मी में रोजा रख पढ़ाई के साथ इबादत कर रहे हैं। 14 घंटे से अधिक का होने के बाद भी छोटे तो दूर बड़े लोग भी रोजा मुश्किल से रख पाते हैं, ऐसे में इन बच्चों का हौसला काबिले तारीफ है। राजधानी में पांच से लेकर आठ साल के तीन हजार से अधिक बच्चे रोजा रख रहे हैं। इसके साथ ही नौकरी पेशा लोगों को इफ्तार करने के लिए पूरी सुविधा मुहैया करवाई जा रही है।
-एमडी रोड स्थित सात वर्षीय शाहजर खान ने रोजा रखा। इस मौके पर परिवारजन भी बच्चों के सब्र की तारीफ करते हुए फूल माला पहनाकर इस्तकबाल कर रहे हैं। पिता सरफराज खान ने कहा कि बड़ों के साथ अब बच्चे भी मजहब का अनुसरण कर रहे हैं। ताकि धार्मिक जुड़ाव बचपन से हो। अन्य बच्चे भी बेटे से इंस्पायर हुए।
-पांच वर्षीय घाटगेट निवासी आयेजा आजाद ने कहा कि अल्लाह हम सबके रोजे कबूल कर शक्ति दे रहा है। पहली बार उन्होंने रोजा रखा। अन्य बच्चे भी आठवीं बोर्ड परीक्षा के साथ ही रोजे रख रहे हैं।