राजस्थान के संगमरमर से तैयार वेदी पर विराजमान होंगे रामलला
आखातीज पर प्राण प्रतिष्ठा
बाद में मंदिर के लिए खजाने वालों के रास्ते में मूर्तियां तैयार करवाई गईं। वर्ष 1955 में आखातीज के अबूझ मुहूर्त पर चांदी के रथ में मूर्तियां मंदिर में लाई गईं। इसके बाद प्राण प्रतिष्ठा करवाई गई। वर्ष 1992 में मंदिर के पूर्व अध्यक्ष देवराज खुराना जयपुर से कारसेवा के लिए अयोध्या गए थे। उस दौरान मंदिर आंदोलन से जुड़े भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से देशभर के राम मंदिरों में खड़ाऊ भेजी गई थीं। वह खड़ाऊ आज भी मंदिर में मौजूद है।
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खीर, मालपुए का भोग
फिलहाल राममंदिर प्रन्यास सनातन धर्मसभा की ओर यहां सभी धार्मिक गतिविधियों का संचालन किया जा रहा है। सहमंत्री रवि सचदेवा के मुताबिक राम, सीता, लक्ष्मण, लक्ष्मीनारायण, राधा-कृष्ण, हनुमान जी, वैष्णोदेवी, शिव परिवार यहां विराजमान हैं। दावा किया जा रहा है कि मंदिर ट्रस्ट की ओर से हर साल बड़ी राशि असहाय बच्चों पर खर्च किए जाते हैं। पुजारी सतीशचंद्र गोस्वामी और बनवारीलाल शर्मा ने बताया कि बालभोग में प्रभु को सबसे प्रिय खीर, मालपुए के साथ केसर दलिया का भी भोग लगायाा जाता है। मंदिर में तीन सिंहासन पर गणेशजी, सालिगरामजी, गोमती चक्र, गायत्री देवी, शीतला माता भी विराजमान हैं।
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मंदिर को मिली थी 10 हजार गज जमीन।
भगवान राम की मूर्ति सवा किलो का चांदी का धनुष-तीर थामे हैं।
1955 से मंदिर में रामलीला का मंचन हो रहा है।
बरसों से रावण दहन के लिए मंदिर परिसर में पुतले बनाए जा रहे।