जयपुर। खूबसूरत शहरों में शुमार राजस्थान की राजधानी जयपुर अपने पर्यटन स्थल और विविध शाही इतिहास के बारे में जाना जाता है। यहां स्थापत्यकला, संस्कृति और आधुनिकता का अनूठा संगम है। जयपुर शहर में सिनेमा हॉल तो कई है लेकिन उनमें से एक ऐसा है जो एशिया में भी अपनी छाप छोड़े हुए है। मल्टीप्लेक्स के दौर में भी जयपुर शहर की शान माने जाने वाले इस सिनेमा हॉल का नाम है ‘राजमंदिर‘।
राज मंदिर सिनेमा हॉल अपनी पुरातन वास्तुकला के लिए जाना जाता है और जयपुर का गौरव है। इसकी शानदार वास्तुकला के चलते इसे ‘प्राइड ऑफ एशिया‘ की उपाधि से सम्मानित किया गया है। इस हॉल में अब तक हजारों लोग पुरानी क्लासिक फिल्मों का मजा ले चुके हैं।
इसमें अंदर और बाहर दोनों ओर बारीक नक्काशी की गई है। इसमें बना हॉल किसी शाही महल से कम नहीं है जिसमें बड़े-बड़े झूमर लगे हैं। इसका लाइटिंग सिस्टम भी लोगों के लिए आकर्षण है।
बाहर से सिनेमा हॉल को देखने पर नौ सितारे चमकते दिखाई देते हैं जो नौ रत्नों के प्रतीक हैं। अंदर की दीवारों पर भी एक घूमने वाली पैनल लगी हुई है साथ ही दीवारों पर कलात्मक काम किया हुआ है।
इसलिए है एशिया का सबसे बड़ा सिनेमा हॉल राजमंदिर में बैठक क्षमता 1300 लोगों की है जिसकी वजह से यह एशिया का सबसे बड़ा सिनेमा हॉल है। इसकी बैठक को चार भागों में बांटा गया है, जिनके नाम भी बड़ी खूबसूरती से रखे गए हैं- पर्ल, रुबी, एम्राल्ड, और डायमंड। हॉल में लगे मखमल के परदे इसके शाही प्रभाव को दर्शाते हैं।
गजब का रहा है इतिहास एशिया के इस सबसे बड़े सिनेमा हॉल का इतिहास भी शानदार रहा है। कई सफल फिल्मों ने इस प्रतिष्ठित हॉल में सिल्वर जुबली की है। राजमंदिर का उद्घाटन 1 जून 1976 को श्री हरिदेव जोशी ने किया था जो उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री थे। यहां प्रदर्शित पहली फिल्म ‘चरस‘ थी। जिसमें धर्मेंद और हेमा मालिनी मुख्य भूमिका में थे। इसका डिजाइन श्री डब्ल्यू एम नामजोशी ने बनाया। राजमंदिर की नींव 1966 में राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोहनलाल सुखाडिय़ा ने रखी थी। इस शाही हॉल को बनने में दस साल का समय लगा।
Hindi News / Jaipur / राजस्थान के इस शहर में है एशिया का सबसे बड़ा सिनेमा हॉल, खुबियां ऐसी की देखने वाले हो जाते हैं मुरीद