अब विदेश पढ़ाई करने वाले छात्रों की संख्या में इजाफा हो गया है तो योजना का बजट गड़बड़ा गया है। सुनकर हैरानी होगी कि पिछले वर्ष 2023 में विदेश पढ़ाई करने गए छात्रों को अभी तक ट्यूशन फीस नहीं दी है। जरूरतमंद छात्रों के अभिभावकों ने मजबूरन कर्ज लेकर 10 लाख रुपए की यूनिवर्सिटी फीस भरी है। पिछले छह महीने से स्कॉलरशिप का पैसा नहीं मिलने के कारण अभिभावक ब्याज से दब रहे हैं।
साल 2021 में कांग्रेस सरकार ने 200 छात्रों के लिए योजना शुरू की। न्यूनतम आठ लाख आय वर्ग वाले छात्रों को शामिल किया। प्रचार-प्रसार नहीं होने के कारण योजना में आवेदन नहीं आए। इसके बाद 25 और 50 लाख आय वर्ग वाले छात्रों को भी शामिल कर लिया। फायदा उठाकर प्रदेश के 14 आईएएस, आईपीएस सहित 73 अफसरों ने अपने बच्चों को सरकारी खर्च पर विदेश पढ़ने भेज दिया। गत वर्ष विधानसभा में एक सवाल के जवाब में कॉलेज आयुक्तालय ने यह आंकड़ा दिया था।
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आठ लाख तक आय वर्ग : 50 लाख ट्यूशन फीस और प्रतिमाह एक लाख खर्चा
आठ लाख से 25 लाख आय वर्ग : 50 लाख ट्यूशन फीस और 50 हजार स्थायी फंड
25 लाख से अधिक आय वर्ग : 50 लाख ट्यूशन फीस
योजना में छात्रों की संख्या बढ़ने से स्कॉलरशिप के तहत मिलने वाली राशि अटक गई। 2023 में कॉलेज आयुक्तालय ने 500 छात्रों से आवेदन ले लिए। इनमें से 327 को चयन कर विदेश भेज दिया। जिन्हें स्कॉलरशिप की राशि नहीं दी गई। बजट की कमी होने के कारण फेस-3 की सूची जारी भी नहीं की गई है। इधर, छात्रों का विदेश की यूनिवर्सिटी में चयन होे गया है, फरवरी में छात्रों को स्कॉलरशिप लेटर जमा कराना है। लेटर नहीं मिलने के कारण छात्रों के प्रवेश पर संकट मंडरा रहा है।
पिछली सरकार के समय योजना में जो गड़बड़ी हुई, उस पर संज्ञान लिया है। विभाग से जानकारी मांगी है। आगे इस योजना को कैसे संचालित किया जा सकता है इस पर विभाग से चर्चा कर रहे हैं। छात्र हित में सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
प्रेमचंद चंद बैरवा, डिप्टी सीएम और उच्च शिक्षा मंत्री