प्राकृतिक चिकित्सा, योगा सहित कई सुविधाएं मिलेंगी
आयुष मंत्रालय एवं आयुर्वेद विभाग की ओर से पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर प्रदेश के 21 पर्यटन एवं धार्मिक स्थलों पर आयुष वैलनेस सेन्टर प्रारंभ किए जाने थे, लेकि न अभी तक शुरू नहीं हुए। कई जगह जमीन का आवंटन नहीं हुआ है।
आचार संहिता के चलते अटके काम
सेन्टर से संबंधित फाइलें अटकी हुई हैं। अब आचार संहिता खत्म होने एवं नई सरकार के कार्यकाल में ही जमीन आवंटन व सेन्टर विकसित का काम होगा।
यहां बनने थे सेन्टर
बारां में नाहरगढ़, बूंदी में बूंदी शहर, सिरोही में माउंट आबू, बीकानेर में बीकानेर शहर-देशनोक कोलायत, जयपुर-अ में आमेर, चूरू में सालासर- तालछापर, अलवर में सरिस्का- सिलिसेढ, कोटा में कोटा शहर, सीकर में खाटू श्यामजी-जीणमाता, उदयपुर में उदयपुर शहर, जैसलमेर में रूणीचा रामदेवरा, बाड़मेर में नाकोड़ा, सवाईमाधोपुर में रणथम्भौर, जोधपुर में जोधपुर शहर, चित्तौडगढ़ में मंडफिया, पाली में रणकपुर और झुंझुनूं में लोहार्गल पर्यटन स्थल का चयन वैलनेस व योग केंद्र बनाने के लिए किया गया है।
कहां-कितनी जमीन आवंटित
उदयपुर के ग्राम मदारड़ा में 76.14 बीघा, पुष्कर अजमेर नांद में 22.86 बीघा, घाटा मेहंदीपुर -करौली में 63 बीघा, नाकोड़ा बाड़मेर में मेवानगर में 60 बीघा, मण्डाफिया चित्तौडग़ढ़ के गिदाखेड़ा में 50 बीघा, कुंभलगढ़ राजसमंद के गांव भीड़ का भागल में 50 बीघा, पूछरी का लौठा भरतपुर के पूंछरी में 36.92 बीघा, ओसियां जोधपुर के गांव रामपुरा भाटियान में 40 बीघा एवं कोलीवाड़ा- पाली के कोलीवाड़ा में 74 बीघा जमीन का आवंटन हो गया है।
यह मिलेंगी सुविधाएं
यहां पंचकर्म, क्षार सूत्र, योग, व्यायाम, प्रणायाम, प्राकृतिक चिकित्सा, अग्निकर्म, फिजियोथैरेपी, डायबिटीज, शरीर में मोटापा बढऩे के कारण व उसके उपचार सहित कई सुविधाएं दी जाएंगी। आयुर्वेद, प्राकृतिक, यूनानी व होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की सुविधाएं मिलेंगी।