राजस्थान विश्वविद्यालय में नवनिर्मित सेंट्रल लाइब्रेरी में ई-बुक सिस्टम विकसित किया जा रहा है। इसके लिए यूनिवर्सिटी ने तीन करोड़ का प्रस्ताव तैयार किया है। अब जल्द ही इसको लेकर टेंडर जारी किया जाएगा। कमेटी बनाकर टेंडर प्रक्रिया को पूरा किया जाएगा। इसके बाद नए साल में छात्रों के लिए यह सुविधा शुरू कर दी जाएगी।
यह मिलेगा ई-बुक का फायदा
लाइब्रेरी की क्षमता करीब एक हजार छात्रों की है। लाइब्रेरी शुरू होने के बाद विश्वविद्यालय से पीएचडी कर रहे हजारों शोधार्थियों को फायदा होगा। इसी के साथ विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रहे करीब 15 हजार विद्यार्थी यहां अध्ययन कर सकेंगे। शोधार्थियों को रिसर्च पेपर ऑनलाइन ही मिलेंगे। अलग-अलग लेखकों की पुस्तकें व उनका कंटेंट पढ़ने के लिए हजारों रुपए खर्च नहीं करने पड़ेंगे। मॉडर्न लाइब्रेरी चालू होने पर उन्हें यह कंटेंट नि:शुल्क उपलब्ध होगा। इसके अलावा प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी भी इसका लाभ ले सकेंगे।
12 करोड़ से करवाया निर्माण
राजस्थान विश्वविद्यालय में वर्षों से बंद पड़ी लाइब्रेरी का तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के हाथों उद्घाटन कराया गया था। लेकिन आज तक लाइब्रेरी में सुविधाएं छात्रों को नसीब नहीं हुईं। वहीं, लाइब्रेरी छात्र नेताओं के बीच विवादों में रही है। पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष निर्मल चौधरी ने अध्यक्ष बनने के बाद लाइब्रेरी को ही शुरू कराने की घोषणा की थी। इतना ही नहीं, लाइब्रेरी शुरू नहीं होने तक पदभार ग्रहण नहीं करने की भी घोषणा की थी। करीब 12 करोड़ रुपए की लागत से लाइब्रेरी भवन का निर्माण कराया गया। बाहर भी मिलेगी ई-बुक की सुविधा
सेंट्रल लाइब्रेरी को पूरी तरह से डिजिटल बनाया जाएगा। इसके लिए कम्प्यूटर सिस्टम भी लगाए जाएंगे। लाइब्रेरी में ई-बुक सुविधा दी जाएगी। छात्रों को पासवर्ड दिए जाएंगे, ताकि छात्र लाइब्रेरी से बाहर जाकर घर या कैंपस में बैठकर ई-बुक के जरिये पढ़ाई कर सकेंगे।
लाइब्रेरी को विकसित किया जा रहा है। छात्रों को डिजिटल मोड पर किताबें पढ़ने की सुविधा मिलेगी। नए साल में छात्रों को यह सौगात दी जाएगी। –
अल्पना कटेजा, कुलपति, राजस्थान विश्वविद्यालय